"हर पल को मधुर बनाने की जीवन भर साथ निभाने की " यह माँ की परिभाषा एक है जो सारी दुनिया से लड़कर अपने बच्चो और परिवार को खुश करने की हजार कोशिशे करती है लेकिन उन माताओं को जरा याद करिए जिन्होंने अपने बच्चो को माँ बाप का प्यार देते हुए अपनी जिंदगी काटी है या काट रही है. उन्ही के आशीर्वाद और मेहनत से आज हम इस मुकाम पर खड़े है. मदर्स डे पर मुझे भी अपनी माँ की याद आ रही है हालाकि वे आज इस दुनिया में नहीं है पर आज के दिन मै उन्हें याद करते हुए उनके चरणों में प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ.
माँ जिसने अपनी कोख से हमें जन्म दिया है और एक माँ है जिस धरती माँ पर हमने जन्म लिया है इनका कर्ज हम आजीवन नहीं चुका सकते है
मेरी माता जी हमेशा मुझे यह गीत बचपन के दिनों में सुनाया करती थी जो आज इस अवसर पर आप सभी को बाँट रहा हूँ.
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
हम श्रद्धा पूरित होकर दो अश्रु चढाते है
झंकार करो ऐसी माँ सदभाव उभर जाये
हुंकार करो हे माँ ऐसी दुर्भाव उखड जाये
सन्मार्ग न छोडेंगे माँ हम शपथ उठाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
यदि स्वार्थ हेतु मांगें माँ दुत्कार भले देना
जनहित हम याचक है माँ सुविचार हमें देना
सब राह चले तेरी माँ तेरे जो कहाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
वह हास्य हमें दे दो माँ सारा जग मुश्कुराये
जीवन भर ज्योति जले माँ स्नेह न चुक पाये
अभिमान न हो उसका माँ जो कुछ कर पाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
विश्वास करो हे माता हम पूत तेरे कहाते है
बलिदान क्षेत्र के हम हे माँ तेरे दूत कहाते है
कुछ त्याग नहीं अपना माँ तेरा कर्ज चुकाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर लिखा है। माँ तुझे सलाम।
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
....इस दुनिया में माँ के सिवा दूसरा कोई नहीं जिसके आगे हम शीश झुकाएं...
अच्छी कविता
मां तूने दिया हमको जन्म
तेरा हम पर अहसान है
आज तेरे ही करम से
हमारा दुनिया में नाम है
हर बेटा तुझे आज
करता सलाम है
आकर्षक चित्र,
सुन्दर कविता,
मातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।
माँ के सभी रूपों का अच्छा चित्रण किया है आपने...माँ तो अतुल्यनीय है..
माँ को समर्पित आपकी इस कविता को सलाम
इतना तो असर है मेरी माँ की दुआओं में ..
टूटा हुआ पत्ता भी बसे है फिजाओं में ..
वो पूजते हा पत्थर मैं इंसान पूजता हूँ ..
मेरी माँ है सबसे पहले लिल्लाह खुदाओं में ...
बधाई
अर्श
सच, माँ की ममता का
हर तरफ अद्भुत वर्णन मिलता है.
-विजय
माँ तुम्हे प्रणाम
माँ तुझे सलाम
जो अपनी माता का ना हुआ ,
वो किसी का क्या हो पायेगा ,
माता का कर्ज ना उतरेगा ,
चाहे लाखों बार चुकायेगा,
इसने तुझको पाला पोसा ,
यह बात कैसे झुठ्लायेगा ,
जिस गोदी में पल बड़ा हुआ ,
उस से बड़ा नहीं हो पायेगा .....
Meri bhi ek chhoti si kavitaa...
Ek chhotaa saa shrddhaa pushp..
Aapki rachanaa bahut sundar hai.
~Jayant
सच में माँ के प्रति किया गया कोई भी कार्य त्याग नहीं अपितु उसके प्रति हमारा फ़र्ज होता है।हृदयस्पर्शी कविता...
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