तबियत ठीक न होने से गरमागरम मौसम के कारण आज अचानक अवकाश ले लिया. घर में परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद बच्चो की भरमार रहती है . घर में चहल पहल का माहौल रहता है . आज छोटे भाई की नन्ही नन्ही प्यारी बेटियो ने मुझ से अचानक मुहावरे पूछना शुरू कर दिया .कुछ के मैंने सही उत्तर मैंने दिए और कुछ के गलत उत्तर दिए. उन बच्चो के बीच मुझे अपना बचपना याद आ गया . एक मुहावरा उन्होंने मुझसे पूछा बड़ी देर तक उस मुहावरे को मै काफी देर तक बूझ नहीं पाया . काफी देर बाद जब उस मुहावरे को बूझ पाया तो हंसते हंसते मेरे पेट में बल पड़ गए है . . फिर मैंने सोचा कि मै यह मुहावरा क्यों न अपने ब्लॉगर भाई/बहिनों से पूछ लूं . चलिए तैयार हो जाये . उत्तर देने के लिए दो दिन का समय दिया जाता है उसके बाद पहेली का परिणाम घोषित कर दिया जावेगा .
एक बगीचे में तीन महापुरुषों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं , रोज सुबह उन मूर्तियाँ को मोहल्ले के लोग फूलो की माला पहिनाते है . इन तीन महापुरुषों के नाम क्रमशः पंडित जवाहर ला जी नेहरू दूसरा राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी और नेताजी सुभाष चन्द्र जी है इनकी फोटो नीचे दिए गए है . फोटो को देखकर अनुमान लगाकर आपको सिर्फ उत्तर देना है .
एक बगीचे में तीन महापुरुषों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं , रोज सुबह उन मूर्तियाँ को मोहल्ले के लोग फूलो की माला पहिनाते है . इन तीन महापुरुषों के नाम क्रमशः पंडित जवाहर ला जी नेहरू दूसरा राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी और नेताजी सुभाष चन्द्र जी है इनकी फोटो नीचे दिए गए है . फोटो को देखकर अनुमान लगाकर आपको सिर्फ उत्तर देना है .
प्रश्न मुहावरा - सुबह तीनो मूर्तियो को माला पहिनाई जाती है . एक गाय आती है और पंडित जवाहर लाल जी नेहरू और नेताजी सुभाष चन्द्र जी बोस की मूर्तियाँ की माला खा जाती है पर महात्मा गाँधी जी की मूर्ती की माला गाय नहीं खाती है वह महात्मा गाँधी जी की मूर्ती की माला क्यों नहीं खाती है आपको इसका सोच समझ कर उत्तर देना है .
चलिए उत्तर देने का समय अब हो चुका है .
25 टिप्पणियां:
क्योंकि उनके हाथ में लाठी है।
हम गगन जी के साथ चलेंगे
hum bhi gagan ji ki baat se sehemat hain.
”जिसकी लाठी, उसकी भैंस’
गगन जी का उत्तर सही है ।
gagan ji se alag nahi
जो सब नें कहा वही हमारा भी उत्तर है .
खायेगी तो तब न, जो गले में माला होगी. पहनाते ही उतार नही दी ?
Gagan ji ne pahale hi likh diyaa hai..
Waise Kaajal ji bhi sach kahate hain. :))
~Jayant
LAATHI,,,,,,,,,,,,
लाठी देखकर गाय को तो डरना ही है .. अब वो कैसे जाने कि यह मूर्ति है .. व्यक्ति नहीं।
लाठी का कमाल है.
रामराम.
महेंद्र भाई ,
आपने ही तो बताया था कि वो गाय गांधी जी की ही थी,
भला गाय अपने मालिक की माला कैसे खा सकती है.
- विजय
गांधी जी को खादी की माला पहनाई जाती है..;)
वैसे.. आपके चित्र के हिसाब से तो उन्होने माला उतार दी न?
जिसकी लाठी, उसकी 'माला' :)
भाई
गाँधी जी से तो गाय की कोई दुश्मनी थी नहीं..वो तो बकरी का दूध पीते थे. बाकी के दोनों गाय का दूध पीते थे, इसलिये हिसाब चुकता कर गई.
हम तो लाठी वाले उत्तर के साथ जाते लेकिन अब दोनों उत्तर के साथ हैं. लाठी भी और बकरी भी.
हम तो लाठी वाले उत्तर के साथ!!!
लाठी वाला उत्तर ही सही लग रहा है ।
सोच सोच कर भेजे का दही हो गया है।
लाठी तो तस्वीर में दिखाई गई है। जरुरी नहीं है कि पार्क में लगी मूर्ति पर भी लाठी हो।
जिसकी लाठी उसकी भैंस इसलिए नहीं हो सकती कि गाय ने माला खाई है।
..... अब मैलोडी खाओ खुद जान जाओ :)
गाँधीजी खड़े हैं ऊँचाई ज़्यादा है सो गाय का मुँह पहुँच हीन पाया जबकि वो दोनों की मूर्ति बैठी मुद्रा की नीची हैं।
( दो माला खाकर पेट भी भर गया होगा, गाय को डिडया(ज़रुरत से ज़्यादा खाने की आदत )नहीं होती।)
गाँधीजी के दोनों हाथों में माला फंसी है।
अन्नपूर्णा
मिश्रा जी,
चलिये गांधी जी वाली माला गाय ने खाई की नही यह तो यह मुद्दा रह ही नही गया है, अब तो गाय भी यह सदाश्यता दिखाने में जुटी हुई है कि गांधी जी के नाम पर जब इंसान देश को खाये जा रहे हैं तो मैं कम से कम उनकी माला छोड़ दूं।
laathI wali baat hi sahi hai...
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