13.10.09

तेरी तस्वीर दिल में........

तस्वीर जब से इस दिल में मैंने बैठाई है
हर हाल में बस तू ही तू दिखाई देती है.

कलम चलाने के वास्ते जब खोली आंखे
देख दिल धड़क गया वो तस्वीर आपकी.

तस्वीर में पाई सूरत कुछ हटकर आपकी.
जब धूमिल होती है आँखों में सूरत तेरी
तब खूब देखता हूँ दिल से तस्वीर आपकी.

मै इन हाथो में तेरी तस्वीर लिए फिरता हूँ
अंधे प्यार में कहीं छू न दूं किसी गैर को.

तेरी तस्वीर न बोले उसे देख समझ लेते है
तन्हा बैठ जी लेते है तेरी तस्वीर के सहारे.

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6 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

तेरी तस्वीर न बोले उसे देख समझ लेते है
तन्हा बैठ जी लेते है तेरी तस्वीर के सहारे.

wah ! bahut hi sundar abhivyakti.................


khoobsoorat kavita........

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

तब तो तस्वीर में ज़रूर कुछ खास ही बात होगी..बहुत बढ़िया ढंग से आपने तस्वीर और उसमें छिपे व्यक्तित्व का वर्णन किया है..सुंदर कविता..बधाई!!

M VERMA ने कहा…

मै इन हाथो में तेरी तस्वीर लिए फिरता हूँ
अंधे प्यार में कहीं छू न दूं किसी गैर को.
बहुत खास है ये तस्वीर

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर, चलिये अब हमे बता ही दिया तो एक झलक हमे भी दिखा दे...
धन्यवाद

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता है आपकी मिश्र जी...
और अब तो हम भी सहमत हैं भाटिया जी से ...इस कविता की प्रेरणा को देखने की प्रबल इच्छा हमको भी हो ही गयी है.....
तो अगली पोस्ट उन्ही के नाम होगी ऐसा विश्वास है....

अजय कुमार ने कहा…

prem me pagee kavita