उनकी यादो में,अब हम विरह गीत गाने लगे हैं
ख्यालो में और किताबो में, उनको पाने लगे है.
वहां उनका दिल धड़कता है, याद यहाँ आती है
वो परेशान दिखती है,दिल से जान निकलती है.
इस तन्हाई में, कोई दिल को आवाज दे रहा है
किसकी आवाज गूँज रही है, इस सूने अंगना में.
दूर रहकर भी मुझसे वो भी दिल से परेशान है
उनका नाम भी शामिल है, अब मेरी रुसवाई में.
ख्यालो में और किताबो में, उनको पाने लगे है.
वहां उनका दिल धड़कता है, याद यहाँ आती है
वो परेशान दिखती है,दिल से जान निकलती है.
इस तन्हाई में, कोई दिल को आवाज दे रहा है
किसकी आवाज गूँज रही है, इस सूने अंगना में.
दूर रहकर भी मुझसे वो भी दिल से परेशान है
उनका नाम भी शामिल है, अब मेरी रुसवाई में.
11 टिप्पणियां:
भाई वाह क्या बात है , डुब कर लिखा है आपने , ये लग रहा है , उम्दा रचना । बधाई
vaah ,bahut badhiya.
डाक्टर मनोज मिश्र जी
सादर अभिवादन,
टीप के लिए आभारी हूँ . सर एक बात पूछना चाहता हूँ की आप काफी अंतराल तक नेट जगत से दूर क्यों रहें ?. काफी याद करता रहा हूँ.
वाह, बहुत ही खूबसूरत, शुभकामनाएं.
रामराम.
वहां उनका दिल धड़कता है, याद यहाँ आती है
बहुत खूबसूरत खयालों को शब्द दिया है आपने.
आपके ब्लाग का काला कलेवर टिप्पणियों को पढ़ने में बाधा उत्पन्न कर रहा है. (क्षमा याचना सहित)
कमाल का कलाम
बहुत सुंदर रचना
महेंद्र जी बहुत खूबसूरत शेर ..धन्यवाद!!!
बढ़िया खोजे पुराने पन्ने...और लाईये.
’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
misra ji nav varsh mangalmay ho.. puraane panno ko share karne ke liye shukriyaa janab..
arsh
WAAH WAAH........BAHUT HI KHOBSOORAT KHYAL.
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