11.5.20

समय का समयानुसार सदुपयोग करें ...

समय ही जीवन है और जीवन ही समय है और ये एक दूसरे के पूरक हैं । समय की महिमा एवं मर्यादा में जीवन के सभी रहस्य जुड़े होते हैं । यदि इन दोनों को एक दूसरे अलग थलग कर दिया जाए तो जीवन की कल्पना करना असंभव है । समय के सदुपयोग से ही जीवन का अर्थ प्रगट होता है । मानव जीवन में जन्म के साथ समय हमें जीवन में वरदान के रूप में मिला है । किसी ने कहा है कि समय एक तरह से भौतिक राशि की तरह होता है ।  प्रत्येक क्षण मानव जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण होता है और यदि समय का जीवन में सदुपयोग न किया जाए तो हमारा जीवन निरर्थक है और हमें जीवन में कोई विशेष उपलब्धि प्राप्त नहीं होती है और हम कुछ विशेष कार्य भी नहीं कर पाते हैं । जैसे जैसे समय व्यतीत होता है तो घटनाएं भी घटित होती हैं एवं समय के साथ जीवन में समयचक्र भी बदलता रहता है ।

समय को काल भी कहा जाता है अर्थात सबको अपने में समाहित कर लेने वाली ही सर्वोपरि सत्ता है । यदि समय के साथ न चलें और समय का सदुपयोग न करें तो हमारा जीवन निर्रथक है । भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं काल हूँ और काल से बड़ा कोई नहीं है , काल अर्थात समय से परे कोई नहीं है । जब समय/काल समाप्त हो जाता है तो वहां कुछ भी नहीं किया जा सकता है ।

जहाँ समय होता है वहां बहुत कुछ किया भी जा सकता है । जहाँ समय होता है वहाँ असीम संभावनाएं भी होती है और बहुत कुछ करने के अवसर भी प्राप्त होते हैं । समय को हम अच्छा या बुरा भी नहीं कह सकते हैं और जो समय की पहचान कर लेता है और समय के अनुरूप पुरषार्थ करता है वह सदैव सफल होता है और जो समय को पहचान नहीं पाता है वह हमेशा अपने कार्यों में असफल ही होता है ।

यदि समय हमारे हाथ से फिसल गया तो हम बहुत कुछ खो बैठते हैं । हमारे बुजुर्ग भी कहते हैं कि जो सोवे तो वो खोवे , जागो और समय के साथ पुरषार्थ करो और जीवन में कुछ अच्छा करो । जो सोकर अपना समय नष्ट करता है वह आगे जाकर अपने जीवन में कोई विशेष कार्य नहीं कर पाता है और उसे कोई विशेष उपलब्धि भी प्राप्त नहीं होती है । खोया समय दुबारा कभी लौटकर नहीं आता है,  इसीलिए कहा जाता है कि समय के साथ चलना सीखो । क्षण में जीवन है और क्षण में मृत्यु भी है ।  क्षण सफलता है तो क्षण में असफलता भी है । समय ही हमारी हार और जीत को सुनिश्चित करता है ।

विषम समय में आलसी और डरपोक लोग घबराते है और साहसी व्यक्ति विषम समय में पुरषार्थ कर सर्वश्रेष्ठ कार्य कर लेते है । उचित समय को पहचान कर प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में परिवर्तित किया जा सकता है । जो बर्तमान समय की पहचान नहीं कर पाते है अथवा समय को सम्मान देना नहीं जानता हैं वे जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते है और उन्हें हर समय असफलता का सामना करना पड़ता है । सामान्य जीवन में बहुत महत्वपूर्ण कार्य किये जा सकते हैं इसके लिए समय के उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है । अपनी आवश्यकता और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करना बहुत जरुरी है । जीवन में समय प्रबंधन की बहुत बड़ी भूमिका होती है । समय के साथ कार्य की प्राथमिकतायें यदि निर्धारित कर ली जाएँ तो यही जीवन की सच्ची सार्थकता होगी । 

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