6.2.09

तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है

तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है
तेरी सूरत अक्सर अपनी बंद आँखों से देख लेता हूँ.

जिसे तेरा चेहरा समझ कर मै रात भर चूमता रहा
नींद से जागा जब मै सिरहाना अपनी बाहों में पाया.

तेरी सूरत देखकर रुकते नही मेरे ये बेहिसाब आंसू
तेरे ख्याल देते थे खुशी दर खुशी वो समय और था.

मेरी आँखों के सामने से अब तुम दूर नही होना जी
मेरी दिल ऐ दिलरुबा का श्रृंगार होना अभी बाकी है.

********

4.2.09

उदीयमान और अच्छे कलमकार ब्लागरो के बारे में आज चिठ्ठा चर्चा

1.2.09

महेन्द्र .....जिंदगी एक तपस्या है


जिंदगी एक तपस्या है

परीक्षा की घड़ी में सबको इसकी परीक्षा देना है
जिंदगी के मोड़ पर अनेको सुख दुःख तो आते है
सभी को इस परीक्षा में फ़िर भी सफल होना है

जिंदगी एक तपस्या है

इसमे कुछ सफल और कुछ असफल हो जाते है
डरकर अपनी जिंदगी से जो मुँह मोड़ लेते है
वे धरती धरा पे डरपोक महा कायर कहलाते है

जिंदगी एक तपस्या है

जिंदगी एक तपस्या है जिंदगी एक परीक्षा है
तमाम अपनी ये जिंदगी एक नाव के समान है
इस जिंदगी की नाव को वैतरणी पार लगाना है

जिंदगी एक तपस्या है

महेन्द्र ये जिंदगी एक कडुआ घूट के समान है
इस कडुआ घूट को नीलकंठ बन...पीना भी है
नीलकंठ बन जिंदगी हँस कर फ़िर भी जीना है
जिंदगी एक तपस्या है

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर
रिमार्क- भूलवश कविता का शीर्षक ग़लत दल दिया था अब सुधार कर "जिंदगी एक तपस्या है" सही कर दिया है . त्रुटी के क्षमाप्राथी .