1.2.09
महेन्द्र .....जिंदगी एक तपस्या है
जिंदगी एक तपस्या है
परीक्षा की घड़ी में सबको इसकी परीक्षा देना है
जिंदगी के मोड़ पर अनेको सुख दुःख तो आते है
सभी को इस परीक्षा में फ़िर भी सफल होना है
जिंदगी एक तपस्या है
इसमे कुछ सफल और कुछ असफल हो जाते है
डरकर अपनी जिंदगी से जो मुँह मोड़ लेते है
वे धरती धरा पे डरपोक महा कायर कहलाते है
जिंदगी एक तपस्या है
जिंदगी एक तपस्या है जिंदगी एक परीक्षा है
तमाम अपनी ये जिंदगी एक नाव के समान है
इस जिंदगी की नाव को वैतरणी पार लगाना है
जिंदगी एक तपस्या है
महेन्द्र ये जिंदगी एक कडुआ घूट के समान है
इस कडुआ घूट को नीलकंठ बन...पीना भी है
नीलकंठ बन जिंदगी हँस कर फ़िर भी जीना है
जिंदगी एक तपस्या है
महेन्द्र मिश्र
जबलपुर
रिमार्क- भूलवश कविता का शीर्षक ग़लत दल दिया था अब सुधार कर "जिंदगी एक तपस्या है" सही कर दिया है . त्रुटी के क्षमाप्राथी .
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15 टिप्पणियां:
सही कहा आपने-जिन्दगी एक तपस्या ही है।
सत्य वचन कहे है आपने ,ढेरो बधाई इसके लिए...
अर्श
जिंदगी एक तपस्या है, ओर यह तपस्या तो सभी करते है, लेकिन सफ़ल कितने होते है, कोई नही जानता.
बहुत सुंदर.
धन्यवाद
नीलकंठ बन जिंदगी हँस कर फ़िर भी जीना है
thank you
महेन्द्र ये जिंदगी एक कडुआ घूट के समान है
इस कडुआ घूट को नीलकंठ बन...पीना भी है
नीलकंठ बन जिंदगी हँस कर फ़िर भी जीना है
जिंदगी एक तपस्या है...
बहुत खूब सर ...और शुक्रिया ये समझाने के लिए की ज़िन्दगी क्या है ...
शाश्वत सत्य बयान किया मित्र!
सही कहा.....वह भी काफी अच्छी तरह....बहुत सुंदर.;
Jindagi ko bahutasi ikaaiyon ke saath jod kar dekhaa jaata hai... par aapane sahi farmaaya ki jindagi ek tapasyaa hai!...ek ati sunder rachanaa!
बिल्कुल सही विचार ! बहुत सुंदर रचना.
काफी संवेदनशील भाव से भरी रचना है, महेंद्र जी
- विजय
भाई विजय जी
आपकी अभिव्यक्ति से मै अभिभूत हूँ आप हमेशा ब्लॉग पर आकर मेरा नैतिक मनोबल बढ़ते है . आप एक प्रकार से प्रेरक का काम कर रहे है . आभारी हूँ .
"जिंदगी एक तपस्या है और ये तपस्या कभी खत्म नही होती......उम्र गुजर जाती है....यूँही...जिन्दगी का सार है इन शब्दों में...आभार"
Regards
जिंदगी के यथार्थ को काव्यात्मक रूप में पढकर प्रसन्नता हुई।
mahenra bhai, jindagee ke ek aur pahloo se rubaroo karane ke liye dhanyavaad.
हम इस तपस्या को कुशलतापूर्वक सम्पन्न कर लें, यही कामना है।
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