17.3.09

जीवन सागर है डूबोगे मोती पाओगे

जीवन सागर है डूबोगे मोती पाओगे
बैठोगे तट पर बस सीट ही पाओगे

तैरोगे तेज धार में तीव्र गति पाओगे
लहर नाव बैठे मंजिल तक जाओगे

तुम हंस के माथे पर बिंदियाँ लगाओ
हरी चुनरिया से कविता को सजाओ.

जाओगे झोपडी में दर्द बाँट लाओगे
सूनी आँखों में ज्योति भर लाओगे.

शोषित को शोषण से दूर खींच लाओगे
पहुंचोगे सीमा पर जीवन फल पाओगे.

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15.3.09

आरजू जिस नजर की थी मैंने वो नजर बदल गई है.

बदल गई है सारी दास्ताँ फर्क महज ये इतना ही है
बस दो कदम की दूरी है फिर भी मिलना कठिन है.

जब बदल गई शमां तो शमां फजल भी बदल गई है
आरजू जिस नजर की थी मैंने वो नजर बदल गई है.

जख्म अपनों से खाए जख्म खाना आदत हो गई है
आरजू जिस निगाह की थी वो निगाहें बदल गई है.

जो दाग मेरे माथे पर तूने जिस बेदर्दी से लगाया है
खुदा फिर भी उन्हें सलामत रखें यही मेरी दुआ है.

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11.3.09

होली संध्या पर संकल्प ले : उठो समय आमंत्रण देता युग करता है आहवान

उठो समय आमंत्रण देता युग करता है........आहवान
नवल सृजन...का समय आ गया. लाओ नया बिहान
शांति मार्ग को रोके बैठा है.....अन्धकार और अज्ञान
बनकर ज्ञान सूर्य की किरणे छेडो.. तुम नव अभियान
छुआ-छूत का भूत भगाकर करो ...तुम देश का उद्धार.

भय कुरीतियों के जंगल में पनप नहीं पाते है....फूल
घ्यान बिना जीवन के सपने आज चाटते है.......धूल
ऊँच नीच की रची राखी हुई है.......छाती पर चट्टान
मानवता की फसलें चरता.. ...अंहकार और अभिमान
भेदभाव की जड़ काटो.......लेकर संकल्प शक्ति कुठार.