13.7.09

वादाखिलाफी की हद अगर ... दिल में है

वादाखिलाफी की हद अगर .... दिल में है
अपने दिल में.. हिसाब तुम लगा कर देखो.
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रफ्ता रफ्ता....क़यामत के दिन आ गए है
बदलते बदलते...मुलाकात के दिन आये है

3.7.09

हमें जलते सूरज को देख कर उनका गुरुर याद आता है.



हमें गुलो के आलम को देखकर वो महबूब याद आता है
हमें जलते सूरज को देख कर उनका गुरुर याद आता है


मुझ से शिकवा न कर जुदा होने की हसरत तूने की थी
मुझ पर इल्जाम न लगा मेरी वफ़ा से शिकायत तुझे थी.


जब तेरे दिल में किसी के लिए कोई वफ़ा का नाम नहीं है
इस दिल को ठुकरा कर तू वफ़ा पाने की उम्मीद न कर


वो नशा जो इस जाम में नहीं है वो नशा तेरी सूरत में है
जो प्यार मेरे इस दिल में है वो प्यार सारे जहाँ में नहीं है

30.6.09

जहाँ भी बस मै देखता हूँ बसी है तुम्हारी यादें


तुम नजरे झुका कर देखती हो... जिस तरह
देखती हो इस तरह.. जैसे कुछ भी नहीं देखा.

oooooo

अपना हाले दिल लेकर कहाँ तुझे खोजने जाऊं
जहाँ भी बस मै देखता हूँ बसी है तुम्हारी यादें.

oooooo

तेरे इस हसीन चेहरे को देख खूब प्यार आता है
हँस कर जालिम ने कहा आप को क्या आता है.