29.11.09

मेरे जीवन का कल का दिन निर्णायक होगा .....

एक समय था की नौकरी के लिए कोई जद्दो जहत नहीं करना पड़ती थी . वाकया सन 1975 के समय का है . जब नौकरियों की भरमार रहती थी . 11 मार्च सन 1976 में मैंने मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में सर्विस ज्वाइन की. उस समय मेरी उम्र मात्र 18 वर्ष एक माह थी और मेरी प्रथम पदस्थापना ग्वालियर में की गई . चूंकि उस समय परिवार में प्रकाशन का कार्य किया जाता था . तरह तरह की पुस्तके प्रकाशित की जाती थी . मेरी रूचि नौकरी में नहीं थी . मुझे हमेशा इस बात का दुःख रहता था की मेरे परिजनों ने मुझे कम उम्र में ही नौकरी में धकेल दिया था . समय बदलने के साथ साथ मैंने विद्युत मंडल के विभिन्न प्रभागों में कुशलता पूर्वक कार्य सम्पादित किया . मुझे मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में कार्य करते 33 वर्ष आठ माह १९ दिन हो चुके है .

इस दौरान मैंने अनुभव किया है की इस विभाग में लगातार कर्मियो पर कार्य का बोझ लादा जा रहा है . संस्थान में वर्षो से नई नियुक्तियां नहीं की जा रही है . पहले जैसे अधिकारी भी नहीं रहे है . नए अधिकारियो में मानवीय संवेदनाओ का सर्वथा अभाव सा हो गया है . नियम कानूनों से अनभिज्ञ अधिकारी भ्रष्ट और निरंकुश है और लगातार कर्मचारियो के विरुद्ध कहर बरपा रहे है जिसका विपरीत प्रभाव कर्मचारियो की कार्य क्षमता पर पड़ रहा है . संस्थान में इस समय तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारियो को वर्ग विभेद कर बांटा जा रहा है जिसके फलस्वरूप संस्थान का भविष्य राजनीतिक कारणों के चलते उज्जवल नहीं है .

सर्विस में सफलतापूर्वक लगातार कार्य करने के बाद मध्यप्रदेश राज्य मंडल की सेवाओं से कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै स्वैच्छिक सेवानिवृति ले रहा हूँ . सेवानिवृति लेने के उपरांत मैंने गरीब विकलांग जनों और समाज में पीड़ित जनों की सेवा करने का और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार करने लेखन कार्य करने का संकल्प ले लिया है..... स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के उपरांत कल के दिन के बाद का समय मेरे जीवन में निर्णायक मोड़ लायेगा ऐसा मै ईश्वर से कामना करता हूँ .

महेन्द्र मिश्र
9926382551
जबलपुर

23.11.09

तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या कम है

जब तक बहारे आती रहेंगी, तब तक फूल खिलते रहेंगें
तेरी यादे जेहन में रहेंगी, तब तक दिल जिन्दा रहेगा.
*
न जाने हर आशना न जाने दगा कर बैठा मुझसे क्यों
हर वक्त हम से हर बार रूठा था हमसे ही न जाने क्यों.
*
नफ़रत भरे तेरे अल्फाजो से हम कई कविताएं उकेरते है
तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या है कम.
*

17.11.09

उनसे बेहतर उनकी यादे जो ख्वाबो में आती है

मस्त फिजाओ तुम मुझे उनकी याद न दिलाओ
मेरे इस तड़फते दिल को तुम और न तडफाओ.
***

मेरा सन्देश उन तक...जाते-जाते तुम ले जाना
मै नहीं भूला हूँ उसे तुम ये सन्देश पहुंचा देना.
***

उनसे बेहतर उनकी यादे जो ख्वाबो में आती है
दफ़न हो जाती ये जान यादो के सहारे जिन्दा है.

***