10.12.09

कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले जोग....

बहुत दिनों से कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले वाली पोस्टे पढ़ने को मिल नहीं रही थी इसीलिए मैंने सोचा की कुछ हंसाने की लिखी जाए तो उदास मन में मुस्कराहट बिखेर दे और ताजगी की उमंग पैदा कर दे.. इसी तारतम्य में कुछ जोग ...

पति पत्नी से - क्या कारण है की तुम आजकल मुझसे ज्यादा कुत्ते पर फ़िदा हो ?
पत्नी - कम से कम वह तुम्हारी तरह भौकता तो नहीं है.
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नई नई बीबी अपने पति से मुस्कुराकर बोली - जानते हो मैंने सोलह दिन केवल तुलसी के पत्ते खाकर गुजारे और दो सालो तक लगातार प्रयेक शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत किया तब कही जाकर आपको पति रूप में पाया.
पति - अगर यह सब न करती तो ?
पत्नी ने उत्तर दिया - धत तेरे की समझे नहीं तो कोई आपसे भी गया गुजरा मेरे पल्ले में पड़ता.
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एक बीबी चटकारे ले लेकर अपनी दूसरी सहेली से कह रही थी अरे तुझे मालूम है मेरे पति की रात को देर से घर लौटने की बुरी आदत थी वह मैंने छुड़ा दी .
सहेली - वह कैसे ?
बीबी - एक रोज वो रात को बारह बजे घर लौटा तो मैंने जोर से आवाज लगाकर कहा क्या बात है मोहन आज तुमने आने में देर कर दी इसके बाद मेरा पति दिन डूबने के पहले घर आने लगा .
सहेली - यह सब कैसे संभव हो गया ?
बीबी - दरअसल मेरे पति का नाम मनोहर है .
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एक सहेली दूसरी सहेली से - क्या तुम्हारे पति तुम्हे अब भी कांटते है ?
पहली सहेली - नहीं
दूसरी सहेली पहली से - अच्छा तो उनकी काटने की आदत अब छूट गई होगी .
पहली सहेली दूसरी से - नहीं दरअसल उनके दांत अब टूट गए हैं.
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एक दिन ताउजी ने भारतीय रेल को धोका देने की सोची क्योकि वह कुछ नया ही करना चाहता थे. उन्होंने एक आइडिया सोचा . उन्होंने एक टिकट खरीदा पर रेल में बैठे ही नहीं .
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एक आदमी अपने पन्द्रह बच्चो के साथ उन्हें जिराफ दिखाने के लिए चिड़िया घर गया और दरबान से कहा इन सब बच्चो को मै जिराफ दिखलाना चाहता हूँ
दरबान ने हैरत से उस आदमी को देखते हुए कहा - ये सारे बच्चे तुम्हारे है . उस आदमी ने कहा - हाँ
दरबान ने कहा - तो तुम लोग यही ठहरो मै जिराफ को यही ले आता हूँ वह तुम लोगो को देख लेगा.
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प्रेमी अपनी प्रेमिका से - आजकल मेरी शादी के लिए कार वालो के रिश्ते आ रहे है अगर तुम्हारे पिता कार दे सके तो मै तभी शादी करूँगा .
प्रेमिका प्रेमी से - मेरे पिता तुम्हे रेलगाड़ी भी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो करो .
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9.12.09

जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है

चार दिनों की ये जिन्दगी मिलती है उधार
आंचल में खुशियाँ हो...तो आती है बहार
गर दिल को मिले आंसू और काँटों का हार
तो अक्सर प्यार की होती है...करारी हार
ये शाम फिर से अजनबी सी लगने लगी है
हरी भरी ये जिन्दगी वीरान लगने लगी है
जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है
न चाहकर भी दिल को बैचेन बना देती है
मेरे घरौदे की दहलीज पर वो कदम रखेंगे
बात कहने से पहले मुझे बहुत याद करेंगे।
oooooo

1.12.09

स्वैछिक सेवानिवृति के उपरांत यादगार क्षण ... कभी भूल नहीं सकता

कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की से सेवा से ३३ वर्ष आठ माह सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो गया हूँ . कल का दिन मेरे जीवन में नई दिशा प्रदान करने वाला दिन रहा . स्वैछिक सेवानिवृति के अवसर पर कार्यालयीन अधिकारियो और सहकमियो द्वारा सम्मान में बिदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर अधीक्षण यंत्री, संभागीय अभियंता और परीक्षण संभाग जबलपुर के कर्मचारी उपस्थित थे .

परीक्षण और संचार वृत के अधीक्षण अभियंता माननीय ठाकुर साहब ने अपने उदबोधन में कहा मिश्र एक कर्मठ और सुयोग्य है ..कठिन से कठिन कार्य को आसानी से सम्पादित करते है...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मिश्र इतनी जल्दी सेवानिवृति ले लेंगे. संभागीय अभियंता श्री खरे ने कहा की श्री मिश्र सेवानिवृति के उपरांत फुरसत में नहीं बैठेंगे ... इस अवसर पर सभी ने मंगलमय उज्जवल भविष्य की कामना की और भावभीनी बिदाई दी .

गृह निवास पर स्वल्पाहार का आयोजन किया गया. स्वैच्छिक सेवानिवृति के अवसर पर कुछ फोटो लिए गए है जोकि अवलोकनार्थ प्रस्तुत है. कल तक व्यस्त था ... आज अपने आपको स्वछंद महसूस कर रहा हूँ और महसूस कर रहा हूँ की मै अब किसी का चाकर नहीं हूँ और आजाद हूँ ... स्वतंत्रता के साथ साँस ले सकता हूँ और आजादी से अब घूम फिर सकता हूँ .


कार्यालय से बिदाई आयोजन के बाद घर की और रवानगी ..
एक नन्ही बच्ची "टिया " ने आकर मेरा हाथ थामा

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....एवं बाजू में खड़े कार्यपालन अभियंता श्री मनीष खरे बांयी और



कार्यालय के बाहर मुझे रिसीव करने आये परिवारजन एवं---स्नेही जन

कार्यालय में रिसीव करने आये स्नेही जन...



मेरे निवास में उपस्थित जबलपुर शहर के कवि साहित्यकार और अनेक संस्थाओं से जुड़े ब्लागार भाई डाक्टर
विजय तिवारी
"किसलय" जी

निवास में उपस्थित स्नेही जन..

निवास में उपस्थित स्टेट बार कौंसिल हाईकोर्ट जबलपुर की अनुभाग प्रभारी श्रीमती अंजू निगम और सलमा बेगम...के साथ छायाचित्र


मेरे मित्र मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव नलिनकान्त बाजपेई (जनसत्ता).. नौकरी के बाद भी साथ नहीं छूटेगा .....
गृह प्रवेश पर जब मेरी चाची जी ने मेरा सम्मान किया .....


जबलपुर सेन्ट्रल जेल और मिलेट्री जेल के मौलाना हाजी कारी काजी अब्दुल लतीफ़ कादरी जी ने श्री फल और शाल से सम्मानित किया.


कार्यालय से बिदाई के पश्चात मेरे निवास में उपस्थित मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के एफ.डी.ठाकुर साहब अधीक्षण अभियंता (परीक्षण और संचार)जबलपुर , श्री निगम संभागीय अभियंता और श्री मनीष खरे संभागीय अभियंता परीक्षण संभाग १ मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड जबलपुर.....

घर में मेरे बेटे मयूर मिश्र ने पुष्पाहार से सम्मान किया और कहा बस पापा अब मै....सुनकर आंखे नम हो गई की मेरा बाजू तैयार हो गया है .

निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन .
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन..और मै...
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन....और मै...

यूं0के0 से आये मेरे भांजे अमित मिश्र ने पुष्पाहार से मेरा सम्मान किया .....

स्वैच्छिक सेवानिवृति पर ये बहुत खुश है...मेरी पत्नी मांडवी मिश्र(बांये)और उसकी सहेली.

सम्मान के ये क्षण....


मयूर मिश्र,मोनू चौरसिया और वरुण