1.1.10

नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना - महेन्द्र मिश्र

आज मै बहुत खुश हूँ इसका कारण यह है कि जब भी नया वर्ष आता है तो नववर्ष के साथ साथ मै अपना जन्मदिन भी मनाता हूँ  तो मेरी ख़ुशी दूनी बढ़ जाती है और मै नववर्ष के साथ आज से मै जीवन के ५३ वर्ष पूर्ण कर ५४ वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ . . आज मेरा जन्मदिन है . बचपन में माता-पिता की उपस्थिति में मेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था . सभी मुझे जन्मदिन के साथ नए वर्ष की शुभकामना और बधाई देते थे . जन्मदिन के अवसर पर रामायण पाठ होता था . यह सिलसिला माता पिता के जीवित रहते तक काफी लम्बे अरसे तक चला . समय बदलने के साथ साथ अब परिवार की नैतिक - जिम्मेदारी मेरे कंधो पर है .

अब तो खुद का जन्मदिन उत्सव मनाने की अपेक्षा अब बाल गोपालो का जन्मदिन उत्सव मनाने में असीम प्रसन्नता का अनुभव होता है . सीढी दर सीढी जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे जीवन में तमाम अनुभव होते है . मेरी समझ से जीवन में आप जितना सीखेंगे आपको उतने अधिक अनुभव प्राप्त होंगे . जीवन में सीखने और कुछ नया कर गुजरने के लिए उम्र पर कोई पाबन्दी नहीं होती है .

आप जितना सीखेंगे आप उतना सुखी और प्रसन्नचित्त रहेंगे ऐसा मेरा मानना है . आज नव वर्ष के शुभ आगमन पर आप सभी ब्लागर भाई बहिनों को मेरी और से हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामनाये . आपका जीवन मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये .

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

30.12.09

हंसी के गुलगुले ताउजी के नाम...

साल 2009 अपने जाने की घडियों का इंतज़ार कर रहा है . सन 2010 आने को बेताब है उसके आगमन की ख़ुशी में हम क्यों न थोडा हंस ले मुस्कुरा लें . आज के चुटकुले ताउजी के नाम है .


ताउजी : आपका रेस्टोरेंट बहुत ही क्लीन है
मैनेजर : सर मै आपका बहुत ही आभारी हूँ
ताउजी : हर चीज से साबुन की बू आती है सूप से, चिकिन से, सलाद से, नान से,
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ताउजी बच्चो की क्लास ले रहे थे . एक बच्चे से उन्होंने पूछा - ब्यूटीफुल का क्या अर्थ है ?
वह बालक सकपका गया .
फिर ताउजी ने पूछा - ब्यूटी याने ? बालक - सुन्दर
ताउजी - फुल याने ? बालक - भरपूर
ताउजी - "शाबाश" हाँ अब बताओ ब्यूटीफुल का अर्थ ?
बालक - विपाशा बासु
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प्रोफ़ेसर ताउजी ने एक नव कलमकार को नसीहत देते हुए कहा - अगर किसी की राइटर की किसी पोस्ट से कोई चीज ले लो तो वह साहित्यक चोरी कहलाती है मगर कई साहित्यकारों की पोस्टो से बहुत कुछ ले लो तो वह रिसर्च
करना कहलाता है .
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प्रोफ़ेसर ताउजी बड़े भुलक्कड़ थे . हमेशा वे अपनी घडी पेंट की बांयी जेब में रखा करते थे . एक बार भूल से उन्होंने अपनी घडी पेंट की दांयी जेब में रख ली और स्कूल चले गए . स्कूल पहुँचाने पर उन्होंने समय देखने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो घडी नदारत थी वे बड़े हलकान और परेशान हो गए . उन्होंने स्कूल के एक छात्र को बुलाकार कहा जाओ जाकर मेरे घर से घडी ले आओ ? फिर पेंट की दांयी जेब में हाथ डालकर धडी निकली फिर उस छात्र से बोले - अभी दस बजकर बीस मिनिट हुआ है और तुम दस बजकर चालीस मिनिट तक वापस आ जाना .
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ताउजी ने अपने घर आये मेहमान से कहा - आ जाओ इस कुत्ते से डरो नहीं
मेहमान - क्या यह कुत्ता काटता नहीं है ?
ताउजी - अरे भाई यही तो मै परखना चाहता हूँ इसे मै आज ही खरीदकर लाया हूँ .
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एक प्रेमी दया नामक प्रेमिका के घर गया . प्रेमिका के पिता ने पूछा - कहो कैसे हो ?
प्रेमी प्रेमिका के पिता से - जी सब ठीक है बस आपकी दया चाहिए .

सभी ब्लागर भाई बहिनों को नववर्ष की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाये.

29.12.09

व्यंग्य - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

ये देश कलमबाजो का देश है जहाँ पुन्य आत्माए जन्म लेती है . भगवान ने इन्हें चिटठा नगरिया में रहने जगह क्या दे दी ये अब कलमबाजो के अघोषित भगवान बन गए है .

यहाँ के हर जीव एक दूसरे को अपनी पोस्टो से जोड़ लेते है .

ये जीव प्रेम प्रसंगों से लेकर घुड़का बाजी तक पोस्ट लिखने में माहिर है और समय समय पर अपनी टीप उलीचकर अपने प्रेम का इजहार करते रहते है .

ये नव कलमकार को घुड़क कर यदा कदा अपना प्रेम उलीचते रहते है और स्नेहिल आशीर्वाद प्रदान करते रहते है ..

इनकी पहचान निम्न पंक्तियों से की जा सकती है .

रांड सांड सीढ़ी सन्यासी इनसे बचे तो सेवे चिटठा नगरी

और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा कुछ इस प्रकार से भी की जा सकती है .

शूकर घुरके भौंके श्वान मारग रोके सांड सुजान

कलियुग कथा कहाँ लोउ बरनो जहँ तहं डोलत है चिटठाकार


उपरोक्त सभी प्रकार के कलमकार या चिटठाकार इस चिटठा नगरी के निवासी है . ये कन....खजूरे टाइप के है . ये प्राय एक समूह में रहते है .

ये अपने प्रेम का इजहार कलम से भौंक कर घुड़क कर करते है और जिस दिन ये चिटठा नगरी छोड़ देंगे उस दिन उनकी कलम की स्याही ख़त्म हो जावेगी और चिटठा नगरी के कलमकार उनकी भौंक और घुरके की आवाज सुनने से वंचित रह जावेंगे.

ये इस नगरी के उज्जवल प्रकाश पुंज है और इनका सीधे एग्रीक्रेटर से सम्बन्ध है इसीलिए वे कलमकारों के पूज्यनीय और वन्दनीय है .

श्वान रूपी चिटठाकार भैरव का शूकर रूपी चिटठाकार बराह अवतार का रूप है जिनकी खीसो पर सारा चिटठाजगत टंगा हुआ है .

एक जगह मैंने पढ़ा है की ""सांड सिंगानिया और मर्द मुछाड़ियाँ""" सांड जिस पर कृपा करें वो कलमकार सीधे स्वर्ग पहुँच जाता है और शूकर जिस पर घुरके वो चिटठालोक ही छोड़ देता है.

क्रमश :व्यंग्य-कल आगे प्रतीक्षा करें...

व्यंग्य भाग -दो- - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

शूकर और श्वान एवं सांड मुछाडिया प्रवृति के ये कलमकार जीव साहित्य समाज में चाहुनोर बखूबी देखे जा सकते है .

चिटठानगरी के कलमकार कुछ सांड मुछाड़ियाँ प्रवृति के होते है जो इस नगरी को अपनी उछल कूद का स्थल बनाए रहते है और समय और असमय अपने नथुने फुलाए रहते है . शूकर श्वान और सांड अपने अपने कर्मो के कारण इस जगत में अपनी अपनी अहमियत बनाए रहते है .

चिटठाकारिता पे शूकर घुरक देता है और अपनी आदत के मुताबिक कलमकारों के क्षेत्र में गन्दगी फैलाता रहता है . श्वान इस पर समय असमय भौंकता रहता है . ये जीव नेट जगत में आवारागर्दी करते रहते है पहले इन पर थोडा प्रतिबन्ध था पर जबसे इस जगत में इनकी भीड़ बढ़ गई है इनकी स्वेच्छा चरिता बढ़ गई है .

जब तक ये दुनिया में रहेंगे इनपर प्रतिबन्ध लगाना मुश्किल दिखता है .

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