21.1.10

वाह री जन हितेषी सरकारें : अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा

कभी बचपन में आज से चालीस पैतालीस साल पहले मै पाठ्य पुस्तकों में अंधेर नगरी और चौपट राजा के विषय में कभी खूब चटकारे ले लेकर पढ़ा करता था . अंधेर नगरी के बारे में पुस्तक में यह कहा गया था की अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा . जो जिसकी मर्जी में आता था सो वह करता था वह राजा हो या प्रजा हो . कभी लोगो ने आजादी का सपना संजोया था और बड़ी मुश्किल से आजादी हासिल हुई . स्वतंत्र देश से लोगो ने कई तरह की अपेक्षा की उन्हें वह सब आजादी के साथ हासिल होगा जो उन्हें पराधीन देश में हासिल नहीं होता था .

समय के साथ देश ने कई क्षेत्रो में विकास किया है पर धीरे धीरे भ्रष्टाचार,रिश्वत खोरी, जमाखोरी की जड़े गहरी होती गई जो आज समाज के लिए नासूर साबित हो रहे है . इन कारणों के चलते दिनोदिन देश में मंहगाई बढ़ती गई जिसका सीधा असर गरीब जनता पर पड़ रहा है . खाने पीने की भोजन सामग्री दाल, चावल और गेहूं के रेट इतने अधिक बढ़ गए हैं की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले जन के ये चींजे खरीदना मुश्किल होता जा रहा है . सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है . केंद्र और प्रादेशिक सरकारे एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपनी अपनी जबाबदारी से तल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है जिसका खामियाजा आम गरीब जनता को भुगतना पड़ने रहे हैं .

देश के केन्द्रीय मंत्री अब लगता है की वे मार्केट(बाजार) चलाने लगे है . मंत्री जी एक ज्योतिष की तरह पहले से यह घोषणा कर देते हैं की फंलाने चीज के रेट अब बाजार में बढ़ने वाले है . पहले दाल के रेट फिर शक्कर के रेट बढ़ने की घोषणा की . बाजार में इन चीजो के रेट सुनामी लहर की तरह बढ़ें . जनता त्राहि त्राहि कर उठी . फिर मंत्रीजी हाथ ऊपर उठाकार कह देते है की वे कुछ नहीं कर सकते हैं . कभी उत्पादन कम होने की दुहाई देते है तो कभी कुछ और सफाई दे देते हैं .

अब दूध के मूल्यों में बढ़ोतरी होने की बात पवार साहब कर रहे हैं जिसका सीधा यह अर्थ निकाला जा रहा है की दूध के मूल्यों में भी भारी वृद्धि होगी .. उनकी इस बात का अब दुग्ध माफिया नाजायज फायदा उठाएंगे और दूध के मूल्यों में धुँआधार वृद्धि करेंगे . दूध जो बच्चो के लालन पोषण के लिए मुख्य आहार हैं . वह भी छीनने की साजिशें की जा रही है . लोकतंत्र में गरीब जनता का कोई धनीधोरी नहीं है और बढ़ती मंहगाई के कारण आम जन का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है .

सरकारे अपने अपने दायित्वों का सही निर्वहन नहीं कर रही . लगता है ये सब अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर " अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा" का खेल चल रहा है . जो जिसकी मर्जी वो वैसा कर रहा हैं . जिसका खामियाजा गरीब भोग रहा हैं . किसी भी मामले में चाहे वह मंहगाई का हो या अथवा और किसी तरह का जो जनता के हित से जुड़ा कोई मुद्दा रहा हो . निर्वाचित सरकार में बैठे इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो की जबाबदारी निश्चित की जाना चाहिए जो जनता के प्रति जबाबदेह नहीं है .

अंधेर नगरी में जबाबदारी निश्चित न रही होगी पर लोकतंत्र में सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियो की जनता के हित में जबाबदारी सुनिश्चित होना बहुत ही जरुरी हो गया है अन्यथा आगे आने वाले समय में इस देश का हाल अंधेर नगरी और चौपट राज्य की तरह होने में देर न लगेगी . कई दलों से मिल कर सरकार बनी . सरकार बचाने चलाने के चक्कर में वे एक दूसरे का विरोध भी खुलकर नहीं कर पाते है जैसा की आजकल इस देश में हो रहा है . पवार साब ज्योतिष बन गए है और वृद्ध मनमोहन सोनिया जी के सामने बांसुरी बजाने के अलावा कर ही क्या सकते हैं जनता जनादर्न के सुख दुःख के पक्ष....बस सरकार चले चाहे जनता मरे इन्हें क्या लेना देना अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह .

महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

19.1.10

व्यंग्य : ओ मंहगाई महारानी तेरा जबाब नहीं ....

ओ मंहगाई की देवी महारानी तुम्हें क्या कहूँ तेरी महिमा अपरम्पार हैं . तू कहाँ से आई कब कहाँ दस्तक दे दे तेरा कोई ठिकाना नहीं है और जहाँ तेरे चरण पड़ जाए वहां त्राहि त्राहि मच जाती है . तुझे यदि सुरसा की बहिन कहूं तो कोई दिक्कत की बात नहीं है क्योकि तू ऐसे ही है .

सुरसा के सामान बढ़ती जाती हो पर कभी घटने का नाम ही नहीं लेती हो . तेरी मार से गरीब आदमी त्राहि त्राहि कर रहा है वो बेचारा कितनी ही मेहनत करे पर तेरे कारण वह दो जून की रोटी के लिए तरस रहा है . बस अब यह लगता है की मंहगाई की हे देवी महारानी तू सिर्फ भ्रष्टाचरियो , रिश्वतखोरों और जमाखोरों के ऊपर ही मेहरबान हैं जो दिन रात दुगुने के चौगुने कर रहे है .

देश के सरकारी नेता भी तेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं . देखो न बीस की शक्कर चालीस के मुहाने पर और गरीबो की दाल नब्बे के मुहाने पर बैठी है . तेरे कारण हालात ये हो गए हैं की आने वाले समय में लोग बाग़ ये चीजें खायेंगे नहीं सूंघ कर अपना काम चला लिया करेंगे .

देश के शीर्ष नेताओं के साथ लगता है तुम्हारी कोई सेटिंग हैं जिसके चलते तुम्हारा कोई उखाड़ नहीं सकता है .... हाल में आवश्यक जीवन उपयोगी वस्तुओ के मूल्यों में जो धुआधार वृद्धि हुई है वो सब जीते जागते प्रमाण हैं . लगता है सब कमीशनबाजी का चक्कर है .

बड़े बड़े मंत्री बड़े बड़े भाषण पेलते हैं और कृषि मंत्री( हांलाकि उनकी मूंछे नहीं हैं) भी अपनी मूंछो पर ताव फेरते हुए कहते हैं की एक सप्ताह के अन्दर मंहगाई घट जायेगी . शक्कर बत्तीस के भाव से विदेश से मंगवाकर जनता को पुजाई जायेगी ..... पर ये निश्चित हो गया है मंहगाई रानी की शक्कर २२ रुपये प्रति किलो की जगह अब ३५ रुपये प्रति किलो के रेट से आगे बिकेगी पर २२ के रेट फिर वापस नहीं जायेगी ये सब तेरी मेहरबानी है.

हे मंहगाई तेरी महिमा अपरम्पार है देखो न तुम्हारे नाम पर सेमीनार, भाषण बाजी, बड़े बड़े आन्दोलन होते हैं और तो और स्कूलों में बच्चो से मंहगाई विषय को लेकर निबंध लिखवाये जाते है . लोग तुझे कम करने के लिए भूख हड़ताल करते है और भूखो रहकर खुद बेचारे दुबले हो जाते है . धरना प्रदर्शन करने वाले खुद धर लिए जाते है ..... कुल मिलाकर ये कहें हे मंहगाई के देवी महारानी ये सभी अभी तक तेरे खिलाफ बौने साबित हो रहे हैं और ढांक के पांत साबित हो रहे हैं . ओ मंहगाई की देवी तेरी जय हो .

व्यंग्य आलेख -
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

17.1.10

ताउजी पर कुछ चुटकुले और कुछ ठक ठक करती लखटकिया लाइने ----

ठण्ड कुछ बढ़ गई है जिसके असर से ब्लॉग जगत अछूता नहीं है . हिंदी ब्लागजगत में माहौल भी कुछ ठंडा ठंडा सा दिख रहा है इसीलिए माहौल में कुछ गर्मी लाने के लिए कुछ जोग -


ताउजी से ताऊ का एक मित्र - मित्र तुम्हारे मोबाइल पर आई लव यूं के खूब लगातार मैसेज आ रहे है . आखिर बात का है ?
ताउजी - अरे असल मे रामप्यारी का मोबाइल ले आया हूँ .
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ताउजी ने अपने दोस्तों से चलते समय कहा - अभी घर जाकर बीबी को सफाई देना पड़ेगी .
दोस्तों ने ताउजी से पूछा - आखिर किस बात की सफाई ?
ताउजी - ये तो घर जाकर ही पता लगेगा.
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मैरिज ब्यूरो में मैरिज आफिसर के पद के लिए एक महिला बसंती पहुंची . उस महिला से इंटरव्यू लेने वाले ने पूछा - मैडम इस पद के लिए न तो आपके पास डिग्री न डिप्लोमा है और न कोई तकनीकी योग्यता है फिर भी आप इंटरव्यू देने चली आई ?
बसंती ने कहा - अरे साब डिग्री डिप्लोमा की छोडिये मे छः तलाक ले चुकी हूँ और सांतवा केस न्यायलय के समक्ष विचाराधीन है .
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ताउजी के दांतों में बहुत दर्द था . वे डेंटिस्ट के पास दन्त दिखाने पहुंचे . डेंटिस्ट ने ताउजी से कहा - आपका एक दन्त तो आधा सड़ गया है अब इसे उखाड़ना ही पडेगा.
ताउजी - डाक्टर एक शर्त पर उखाड़ने दूंगा की पहले आपको कसम लेना पडेगी की मे सिर्फ एक ही दन्त उखाडूंगा .
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एक चीटी हाथी की पीठ पर सवार होकर नदी पार कर रही थी . वजन के कारण लकड़ी का पुल चरमराने लगा तो हाथी से चीटी बोली - यार मेरे वजन के कारण यदि पुल चरमरा रहा है तो क्या मे उतरू.... तुम्हे कोई जिससे दिक्कत न हो ....

कुछ ठक ठक करती लखटकिया लाइने ----

० अपनी पड़ोसन को भली महिला मानने से पहले उसके पति से मिल लीजिये ,,,
० नाकामयाबी हर किसी को दिखती है कामयाबी का कोई गवाह नहीं होता है ,,,
० यदि आप बैंक के सौ रुपये के देनदार है तो यह आपकी दिक्कत है और यदि आप बैंक के सौ करोड़ के देनदार है तो ये बैंक की प्राब्लम है,,,