27.1.10

आरती टंकी माता की....

कल २६ जनवरी को राज भाटिया जी ने टंकी का उदघाटन करवा दिया और ताउजी को ऊपर चढाने के राजी कर लिया हैं . टंकी का उदघाटन तो हो गया तो मैंने सोचा चलो भाई अब टंकी माता की आरती भी कर लेते है . चलिए स्तुति करें टंकी माई की ....

आरती टंकी माता की

ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता
जो ब्लॉगर तुझको ध्यावे मनवांछित फल पाता
तुम हो दयालु माता पानी ही तुझसे ही आता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जिसपे कृपा द्रष्टि हो तुम्हारी त्रिभुवन सुख पाता
जो अशान्त ब्लॉगर तेरी शरण में ऊपर को जाता
उतरते ही वह त्रासदी भुलाकर परमशान्ति पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जो तुम्हारी महिमा ध्यानमग्न हो कर गाता
वही ब्लॉगर सहज में टंकी से छुटकारा पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता


महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

26.1.10

गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैंने हमारे राष्ट्रगान जन गन मन अधिनायक के बारे में कुछ इस तरह से पढ़ा ?

जब जब अकबर के दरबार के किस्से पढ़ता हूँ तो उनके दरबारी भी याद आ जाते हैं . ये दरबारी हमेशा अकबर की शान में कसीदे पढ़ते थे उनपे लेख पुराण और रचनाये लिखते थे . हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त किये हुए ६० वर्षो से अधिक का समय हो गया है . अभी तक मुझे यह मालूम था की राष्ट्रगान के रचियता गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर थे पर आज दैनिक समाचार पत्र नई दुनिया में राष्ट्रगान के बारे में अर्थ सहित कुछ इस तरह से पढ़ा . लिखा गया है की कहा जाता है की गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने यह गीत जार्ज पंचम की स्तुति में लिखा था . इस स्पष्टीकरण से तो मेरा दिलो दिमाग ही हिल गया है और सोचने को मजबूर हो गया है की गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर क्या अंग्रेजो के भक्त थे ? क्या वे राष्ट्र भक्त नहीं थे और जार्ज पंचम के दरबारी थे आदि आदि ? क्या वे स्वार्थ वश अंग्रेजो की स्तुति करते थे .. यदि सभी को यह मालूम था की यह गीत गुरुदेव द्वारा जार्ज पंचम की स्तुति गान के लिए लिखा गया है तो भी इस गीत को हमारे देश का राष्ट्रगान बनाया गया है आदि आदि . चलिए गुरदेव द्वारा जार्ज पंचम के लिए जो स्तुति गान ( नई दुनिया समाचार पत्र से साभार ) लिखा गया है वह अर्थ सहित प्रस्तुत कर रहा हूँ . आप भी पढ़िए और इस गीत पर आप भी अपने नजरिये से विचार करें .

जन गण मन अधिनायक जय हे
अर्थ - हे भारत के जन गण और मन के नायक ( जिसके हम अधीन हैं )
भारत - भाग्य - विधाता
अर्थ - आप भारत के भाग्य विधाता हैं .
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
अर्थ - वह भारत पंजाब सिंध गुजरात महाराष्ट्र
द्राविड उत्कल बंग
अर्थ - तमिलनाडु उडीसा और बंगाल जैसे प्रदेशो से बना है .
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
अर्थ - जहाँ विन्द्यांचल तथा हिमालय जैसे पर्वत हैं और यमुना गंगा जैसी नदियाँ हैं
उच्छल जलाधि तरंगा
अर्थ - और जिसकी तरंगे उच्छश्रंखल होकर उठती हैं
तब शुभ नामे जागे
अर्थ - आपका शुभ नाम लेकर ही प्रातः उठते हैं
तब शुभ आशीष मांगे
अर्थ - और आपके आशीर्वाद की याचना करते हैं
जन गण मंगलदायक जय हे
अर्थ - आप हम सभी का मंगल करने वाले हैं , आपकी जय हो
गाहे तब जय गाथा
अर्थ - सभी आपकी ही जय की गाथा गायें
जन गण मंगलदायक जय हे
अर्थ - आप हम सभी का मंगल करने वाले हैं , आपकी जय हो
भारत भाग्य विधाता
अर्थ - आप भारत के भाग्य विधाता हैं
जय हे जय हे जय हे
अर्थ - आपकी जय हो जय जय हो
जय जय जय हो

अब आप यह पढ़ें और अर्थ निकले यह आपके लिए ...

साभार - राष्ट्र गीत नई दुनिया समाचार पत्र से .

23.1.10

ब्लागर पच्चीसी : खूसट ब्लॉगर की आत्मा और ब्लागर

एक गहरी अँधेरी रात में सुनसान श्मशान घाट में एक ब्लॉगर पहुंचा और पेड़ से एक खूसट ब्लॉगर का शव उतारा और अपने कंधे पर लादकर उसे लेकर चल पड़ा . रास्ते में ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर से कहा - पहले मेरे सवाल का जबाब दो वरना तुम्हारा सर टुकडे टुकडे हो जायेगा....ब्लॉगर हँसता कब है और रोता कब है ?

ब्लॉगर ने उत्तर दिया - जब ब्लॉगर अपना पहला ब्लॉग बनाता है और उसे देखकर बहुत खुश होता है और जब वह अपने ब्लॉग पर पहली पोस्ट डालता है तो वह अपने आपको किसी तुर्रम खाँ से कम नहीं समझता . रातोरात लेखन की दुनिया में प्रसिद्दी पाने के सपने देखने लगता है और अपने आपको बहुत बड़ा लेखक और साहित्यकार समझने लगता है भलाई वह यहाँ वहां से दूसरे की रचनाओं को चुराकर लिखता हो . जब ब्लागर को अधिक टिप्पणी मिलती हैं तो वह उन्हें पढ़ पढ़कर बहुत खुश होता है .

ब्लागर उस समय भी बहुत खुश होता है जब वह अपनी पोस्ट का आंकड़ा बढ़ता देखता है याने सैकड़ा दो सौ पांच सौ पोस्ट ..... जब सैकड़ा भर पोस्ट हो जाती है तो वह सेंचुरियन के नाम से अपने आपको सचिन तेंदुलकर से कम नहीं समझता है जिसने जैसे सैकड़ा मार दिया हो . जब किसी ब्लॉगर की पोस्ट ब्लॉग से सीधे अखबारों में प्रकाशित होती है तो बेचारा फ़ोकट में बहुत खुश हो जाता है भलाई अखबार वाले उसे धिलिया न दे रहे हों .

हाँ तो ये भी सुन लो ब्लागर रोता कब है ....जरा ध्यान से सुनना ... जब कोई ब्लॉगर प्रतिष्ठा के शीर्ष पर बैठ जाता है और घमंड के कारण उसकी कलम यहाँ वहां भटकने लगती है और वह उल जुलूल लिखने लगती है . वह रावण की तरह सबकी खिल्लियाँ उड़ाने लगता है वह अमर्यादित हो जाता है . एक समय यह आता है की वह कूप मंडूक की तरह हो जाता है और अकेला पड़ जाता है फिर उसे कोई पूछने वाला नहीं होता है तब वह अपने माथा ठोककर अपनी करनी और कथनी पर विचार करता हुआ रोता है . जब वह खूब कलम घसीटी करता है पर उसकी पोस्ट को पढ़ने वाले नहीं मिलते हैं ब्लॉगर तब भी खूब रोता है .

ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर को एक झटका मारा और कहा हे ब्लॉगर तुम ठीक कहते हो अरे तुम तो ब्लागजगत के कोई घिसे पिटे जोद्धा दिखाई दे रहे और हा हा हा कहते हुए आसमान की और उड़ गया .

रिमार्क - ब्लागर पच्चीसी आगे भी जारी रहेगी ...