29.5.10

जोग और कुछ यहाँ वहां की...

एक बार एक व्यक्ति ने फौजासिंह को एक पत्र भेजा जिसमे लिखा था की "" भेजने वाला महान और पढ़ने वाला गधा"" . उस व्यक्ति को फौजासिंह ने उत्तर भेजा इस तरह से ""भेजने वाला गधा और पढ़ने वाला महान""
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ताउजी ने अपने पडोसी के लडके से पूछा - बेटा तुम्हें कैसी बहू चाहिए ?
लडके ने कहा - मुझे इसी बहू चाहिए जो रात को चाँद की तरह आये और सुबह चली जाए .
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प्रेमी - मेरे पास कार वालों के रिश्ते आ रहे है यदि तुम्हारें पिता मुझे कार दे सकें तो मै शादी करने के लिए तैयार हूँ .
प्रेमिका - मेरे पिता तुम्हें रेलगाड़ी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो कर लो .
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पत्रकार - अच्छी बीबी और खराब बीबी में क्या अंतर है ?
ताउजी - बीबीयाँ क्या अच्छी होती है .
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और अंत में कुछ कहीं से -

हम आपको इसकदर चाहते हैं

की दुनिया वाले उसे देखकर जल जाते हैं

यूं तो आप सभी को उल्लू बनाते हैं

लेकिन आप यूं ही जल्दी बन जाते हैं.


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24.5.10

चुटकुले हंसो और हंसाओ ....

एक युवक बड़ा शर्मीला था और वह एक सुन्दर लड़की से विवाह करना चाहता था पर वह अपने दिल की बात शर्मीलेपन के कारण कह नहीं पाता था . डरते डरते एक दिन लड़की के सामने अपने विवाह का प्रस्ताव कुछ इस तरह से व्यक्त किया .
क्या तुम मेरे लडके के हाथों या मेरे हाथो अपनी चिता को आग लगवाना चाहोगी ?
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परिवार नियोजन का एक अधिकारी आम जनता को जागरुक करने के उद्देश्य से जोर शोर से भाषण दे रहा था . हमारे देश की जनसंख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है हमारें उसे रोकने के लिए कुछ सार्थक पहल करनी होगी . हमारे देश में औ रतें प्रति मिनिट एक बच्चे को जन्म दे रही है .... उसे रोकने के लिए हमें क्या करना पड़ेगा क्या आप बता सकते हैं ?... तभी भीड़ में से एक आवाज आई सबसे पहले हमें उस औरत को खोजना चाहिए .
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रेल के डिब्बे में एक मोटा आदमी बैठा था इतने में उस डिब्बे में एक पतला आदमी आया और कहने लगा क्या यह डिब्बा हाथिओं के लिए रिजर्व है . मोटा आदमी बोला नहीं भाई यहाँ गधा भी बैठ सकता है .
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बस इतना राम राम...

20.5.10

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे...

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे
गिरकर संभलते हुए लम्हें लम्हें गुजार रहा हूँ प्यारे.
तेरा नाम भी मतलब की दुनिया में शामिल है प्यारे
कभी नाम पा रहा था, तेरे कारण बदनाम है प्यारे.
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14.4.10

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है . वह बड़े से बड़े संकटों से लड़ सकता है और असंभव के बीच संभव की अभिनव किरणें उत्पन्न कर सकता है . शर्त यहीं है की वह अपने को समझे और अपनी सामर्थ्य को मूर्त रूप देने के लिए साहस को कार्यान्वित करें .

9.4.10

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा

तेरे दिल में जब वफ़ा का नाम नहीं है
फिर तुझे गैरो से वफ़ा क्यों मिलेगी.

मित्र की नादान दोस्ती को ठुकरा कर
तुझे फिर दिलों से भी दुआ न मिलेगी.

क्या खता हुई मुझसे मुंह मोड़ लेते हो
खुशियाँ देने आये बदले में गम मिले.

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.