इंसान प्यार में शायर क्यो बन जाता है ? इसको लेकर लोगो ने तरह तरह के विचार व्यक्त किए है . विचार व्यक्त करने वालो के नाम न देकर देकर उनके नाम के बदले में अ ब स दे रहा हूँ . २० वर्ष से लेकर ७५ साल तक की आयु के लोगो ने इस मसले पर अपनी अपनी भावनाए जोरदार ढंग से व्यक्त की है . उनके विचार जाने और इन विचारो के साथ आपके क्या विचार है जरुर लिखे. इस पोस्ट के साथ साथ आपकी टीप पढ़कर भी पाठक गण जिसको पढ़कर लुफ्त उठा सके .
अ.प्यार में इंसान शायर बनकर अपनी प्रेमिका की तारीफ करता है ताकि उसकी प्रेमिका खुश रहे.
ब.भावनात्मक, अनुभूति,और अंतर्मन की अभिव्यक्ति का नाम ही शायरी है . इसी के बल पर इंसान प्यार को पाने की कोशिश करता है .
स.शायर यदि शायरी नही करेगा तो क्या काम करेगा .
ड. जब इंसान प्यार में डूबा होता है उसे शायरी का ध्यान नही रहता उसे अपनी चंदा का ध्यान रहता है.
इ प्यार अँधा होता है . प्यार को अमर बनाने के लिए इंसान शब्दों के ख्यालो में डूब जाता है तो वह शायर बन जाता है .
य. प्यार में कल्पना की उडान भरते भरते इंसान शायर बन जाता है .
ज. गुस्से में फायर और प्यार में शायर ही बन सकते है जनरल डायर नही बन सकते है.
प. प्यार में इंसान के मन मन्दिर में एक छबी बन जाती है उससे उसके मुखारविंद से शायरी के स्वर अपने आप फूटने लगते है .
फ. दिल में लगी आग या दिल का दर्द शब्दों के रूप में बाहर निकलने लगते है.
त. प्यार में इन्सान शायर बनाने के साथ साथ कायर बन जाता है उसे हरदम डर ही लगा रहता है.
ट. आपने शायद यह गाना सुना होगा " मै शायर तो नही " वरना ऐसा सवाल न पूछते.
. शायर बने बिना पता ही नही चलता कि इंसान प्रेम रोग से ग्रसित है.
मै शायर बदनाम मै तो चला.......प्यार में इंसान पपीहा बन कुछ भी करने को तैयार हो जाता है तो लोग कहते है बेचारा दीवाना हो गया प्यार में पागल हो गया तो शायर क्यो नही बन सकता .
17 टिप्पणियां:
भावनात्मक, अनुभूति,और अंतर्मन की अभिव्यक्ति का नाम ही शायरी है
बिल्कुल पते की बात !
सत्य वचन विप्र देव
मै शायर बदनाम मै तो चला.......प्यार में इंसान पपीहा बन कुछ भी करने को तैयार हो जाता है
बड़े दिलचस्प जवाब मिलें हैं आप को और साथ ही प्यार के नए नए आयामों का भी पता चला...बहुत बढ़िया है जी.
नीरज
रोचक जवाब मिले... हम भी इंतजार कर रहे हैं कोई शायर बना दे :-)
पर शायर बनने के बाद .....इंस्पिरेशन के लिए ....प्यार करने लगता है.....
महेन्द्र भैय्या अपन तो ना शायर बन पाये और ना कवि,
काश हम भी शायर होते।
महेन्द्र भाई हम शायर तो नही लेकिन बन पाये लेकिन मुकरर मुकरर कहते रहते हे.......
बहुत बढ़िया जबाब आये..सही है, प्यार की सच्चे मन से की अभिव्यक्ति अपने आपमें एक शायरी है.
मान्यवर हम प्यार में तो नही पड़े मगर शायर जरूर है
बेहतरीन हम पोस्ट पढवाने के लिए धन्यवाद
वीनस केसरी
दिल में लगी आग या दिल का दर्द शब्दों के रूप में बाहर निकलने लगते है.
" ya very well said, nice artical to read"
Regards
क्या बात है, आपने तो आशिक की पूरी चीर फाड कर डाली। लगता है बहुत नजदीक से अनुभव किया है आपने।
Pyaar men shayar aur galtee se shadee ho gayee usee se to definitely fata tayar bhee banta hai bhaiyye. Lal aur bavaal samne do udaharan dekhiye aur soch samajh kar shayar baniye kyonke fir pyaar karna padta hai aur............. e nako na.
Ha ha bahut khoob panditjee. carry on shayari.
option c
regards
Mahendra Ji ,
Kuchh log to shayri hi isiliye likhte hai.n ki sab use rashik samjhe.
Aapka lekh Bangalore ke akhbar Daxin Bhart me.n bhi padi. Achchha laga.
Mahendra Ji ,
Kuchh log to shayri hi isiliye likhte hai.n ki sab use rashik samjhe.
Aapka lekh Bangalore ke akhbar Daxin Bhart me.n bhi padi. Achchha laga.
आप सभी ने टीप देकर मेरी हौसला अफजाई की है जिसका मै तहेदिल से आभारी हूँ . .
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