आचार्य श्रीराम गुरुदेव की पुस्तक युग निर्माण शांतिकुंज हरिद्वार पढ़ रहा था जिसमे एक बहुत ही सुंदर रचना पढ़ी जो प्रेरक संदेश देती है . मानसिक संबल आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए ऐसी कविताये प्रेरक दवा का काम करती है . प्रस्तुत कर रहा हूँ.
हम बदलेंगे युग बदलेगा यह संदेश सुनाता चल
आगे कदम बढाता चल बढाता चल बढ़ाता चल
अन्धकार का वक्ष चीरकर फूटे नव प्रकाश निर्झर
प्राण प्राण में गूंजे शाश्वत सामगान का नूतन स्वर
तुम्हे शपथ है ह्रदय ह्रदय में स्वर्णिम दीप सजाता चल
स्नेह सुमन बिखरता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल .
पूर्व दिशा में नूतन युग का हुआ प्रभामय सूर्य उदय
देवदूत आया धरती पर लेकर सुधा पात्र अक्षय
भर ले सुधापात्र तू अपना सबको सुधा पिलाता चल
शत शत कमल खिलाता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल.
ओ नवयुग के सूत्रधार अविराम सतत बढ़ते जाओ
हिमगिरी के ऊँचे शिखरों पर स्वर्णिम केतन फहराओ
मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी गीत विजय के गता चल
नवचेतना जगाता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल .
रचना - आचार्य गुरुदेव.
युग निर्माण शांतिकुंज हरिद्वार.
11 टिप्पणियां:
मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी गीत विजय के गता चल
नवचेतना जगाता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल
bahut sunder lekh
mahendra bhai,
behad prernadaayak baat sunaayee apne padh kar achha laga. dhanyavad.
प्रेरक प्रसंग के लिए आभार !
वाह..... सचमुच अति प्रेरक सुंदर भावपूर्ण छंद है.पढ़वाने के लिए आभार..
महेन्दर जी सुंदर ओर प्रेरक प्रार्थना पढबने के लिये आप का धन्यवाद
Bahut badiya, jarur bdlegein hum sab.
सुंदर |
तुम्हे शपथ है ह्रदय ह्रदय में स्वर्णिम दीप सजाता चल
स्नेह सुमन बिखरता चल तू आगे कदम बढ़ाता चल .
मिश्रा जी, प्रेरणा के लिए इन पंक्तियों कि सदैव उपयोगिता बनी रहेंगी. आपको धन्यवाद.
चटाख!" एक थप्पड़ वेटर के मुंह पर पड़ा और वह सपनों कि दुनिया से बाहर आ गया.
'very inspiring and positive creation'
regards
प्रेरक और आस बढाने वाला गीत है। मैं गीत पंक्ति को पहले कई बार पढ चुका था, पर पूरा गीत पहली बार पढने को मिला। शुक्रिया।
' हम सुधरे जग सुधरा ,हम बदले युग बदला ",बीस तीस साल पहले पढा था और फ़िर दुनिया को सुधारने का जोश ठंडा पड़ गया आज तक ख़ुद को सुधारने का संघर्ष चल रहा है | " अव्वल अल्लाह नूर उपाया ,सब इक माटी के भांडे, इक नूर ते जग उपजाया कौन भले कौन मांदे "|\/ झरोखा -अन्यो नास्ति पर आगमन का आभारी हूँ ,उत्साह बढाते रहिएगा ,अभी अनगढ़ है झरोखा को गवाक्ष आपही लोगो का सहयोग बनाएगा ----
अन्योनास्ति
"कालचक्र" की
चौपाल के
"झरोखा "से
"कबीरा"
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