हम इस तरह से मंजिले मकसद तक पहुंचे है
मैंने काँटों भरी राह को हम सफर समझा है.
मेरी आँखों में बसे दिल को उतर कर नही देखा
समुन्दर नही देखा कश्ती के उस मुसाफिर ने.
चाँद तारे मुस्कुराते रहे, दिल में अरमां बने रहे
बढ़ता दर्द ढलती रात पर वो फ़िर भी नही आए.
गिरता है समुन्दर में दरिया बड़े उमंग उत्साह से
लेकिन दरिया में समुन्दर नही गिरता प्यार से
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9 टिप्पणियां:
सुंदर रचना. प्रयोग में हम हमेशा यही कहते हैं की दरिया समुंदर में गिरती है. पर गिरते हुए किसी ने नहीं देखा होगा. आभार.
ghazal ke saath chitra bhi khoobsoorat hain.
सुन्दर रचना के साथ सुन्दर चित्र।बहुत बढिया प्रस्तुति।बधाई।
सुंदर रचना के साथ सुंदर चित्र भी ! वाह !
इस सुंदर गजल ओर सुंदर चित्रो के लिये आप का धन्यवाद
सुंदर!
बेहतरीन चित्रों से सजी आप की ये रचनाएँ बेमिसाल हैं...बधाई...
नीरज
बढ़िया कविता और उससे मैच करते चित्रों का संयोजन! आपने पोस्ट पर निश्चय ही सार्थक मेहनत की है।
खूबसूरत लिखते है । आपने कविता के जरिए जो लिखी है वह काबिलेतारिफ है जरूर लिखिए
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