9.1.09

एक हम है जो रास्ते भूल जाते है



हमें रास्ते चलने की सीख देते है
एक हम है जो रास्ते भूल जाते है.
रास्ते हमें मंजिल तक पहुंचाते है
रास्तो को पीछे हम छोड़ आते है.

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वादा खिलाफी की कोई हद है
हिसाब दिल में लगा कर देखो.
अगर मेरा ही दिल तोड़ना था
मुझसे प्यार- इजहार न करते
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11 टिप्‍पणियां:

विधुल्लता ने कहा…

वादा खिलाफी की कोई हद है
हिसाब दिल में लगा कर देखो.
ye panktiyaan khoob hain...badhai

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

सुन्दर। वे रास्ते बहुत चैलेंजिंग होते हैं जिनपर बहुत कम लोग चले हों।

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

bahut khoob mishra ji , gagar men sagar. swapn

सचिन मिश्रा ने कहा…

Bahut badiya.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

अच्छे अंतरे हैं महेंद्र भाई
यूँ ही लिखते रहिये

आपका
_ विजय

sarita argarey ने कहा…

रास्ते तो मंज़िल का पता देते हैं । रह्गुज़र हमसफ़र नहीं हुआ करती । अच्छी रचना । बधाई

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

भाई महिंदर जी
गज़ब कर रए हो जी
बधाइयाँ जी

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर है जी।

विवेक सिंह ने कहा…

अच्छी रचना । बधाई !

seema gupta ने कहा…

एक हम है जो रास्ता भुल जातें हैं......लाजवाब सोच और सुंदर प्रस्तुती...
regards

Abhishek Ojha ने कहा…

बहुत सुंदर है जी !