आमंत्रण पत्र
प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है जिसमे आपकी उपस्थिति दर्शक के रूप में नहीं लठ्ठमार प्रतियोगी के रूप में प्रार्थनीय है.
प्रतियोगिता के नियम और शर्ते
लठ्ठमार प्रतियोगिता में कुछ इस तरह के लट्ठ लेकर आना पडेगा.........
01. इस प्रतियोगिता में तेल पिला लट्ठ लेकर उपस्थित होना अनिवार्य है.
02. जो प्रतियोगी लट्ठ अपरिहार्य कारणों से लट्ठ लेकर नहीं आयेगा उसे कुछ शुल्क पर आयोजक मंडली पनागर के तेल पीले लट्ठ उपलब्ध कराएगी .
03. प्रतियोगी भगोरिया डांस करना पड़ेगा और आयोजक गण ढोल आदि की व्यवस्था प्रतियोगी के जेबखर्च पर करेंगे .
04. जिन प्रतियोगी को इस प्रतियोगिता में सर फूटने का डर हो तो वे हेलमेट पहिनकर या ढाल लेकर प्रतियोगिता में भाग ले सकते है .
05 प्रतियोगिता में सहभागी होने वाले प्रतियोगियों को आने जाने का रिक्शा रेल बस का भाडा आयोजक जानो द्वारा नहीं दिया जावेगा सिर्फ तमरहाई के भडुए उन्हें निशुल्क देने की व्यवस्था आयोजक द्वारा की जावेगा.
06. विजेता और उपविजेता घोषित करने का अधिकार सिर्फ महिला कंपनी को होगा और उनका अंतिम निर्णय सभी को मान्य करना होगा उनका निर्णय कोर्ट से बढ़कर होगा. कोई अपील दलील नहीं चलेगी.
07. हारे हुए प्रतियोगी को नियम के मुताबिक अपने जूते प्रतियोगिता स्थल पर छोड़ने होंगे जो विजेता को आयोजक गणों द्वारा उनकी माला बनाकर विजेता को पहनाई जायेगी और ब्लॉगर गणों द्वारा कोरी ताली बजाकर हर्ष व्यक्त किया जावेगा .
08. महिला दर्शक ब्लागर्स हा हा तू तू करने के लिए रंग गुलाल लेकर उपस्थित होंगी अन्यथा उन्हें प्रतियोगिता स्थल पर प्रवेश नहीं करने दिया जावेगा.
लठ्ठमार प्रतियोगिता कार्यक्रम स्थान- शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन के किनारे
तारिख- 10 मार्च 2009
समय- रात्री 12 से आपके आगमन तक.
आयोजकगण ( गुप्त है)
......
यह व्यंग्य मात्र हंसने हँसाने के ध्येय से लिखा गया है बुरा न मानो होली है . सभी ब्लॉगर भाई/बहिनों को होली पर्व की हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामना .. सात रंग आपके जीवन में सतरंग बिखेरे और खुशियो की बरसात करें.
महेन्द्र मिश्र
14 टिप्पणियां:
लेकिन आपने ये तो बताया ही नहीं कि प्रतियोगिता का आयोजन किस शहर में किया जा रहा है.......अगर बता देते तो हम भी ताऊ से उसका मेड इन जर्मन वाला लट्ठ उधार मांगकर इसमे हिस्सा ले लेते.......होली मुबारक्!!!!!!!!
हमें तो पता है की शास्त्री ब्रिज कहाँ है. आयोजन की सफलता की कामना के साथ. आभार.
आते हैं पिंक हेलमेट लगा कर. :)
याने जहां-जहां शास्त्री ब्रिज, वहां-वहां लठ्ठमार होली।
बडा मुश्किल है पण्डिज्जी। मेरे शहर में तो शास्त्री ब्रिज है नहीं और इतने सारे शहरों मे एक ही दिन (रात), एक ही समय पहुंच पाने के लिए तो 'आत्मा' ही बनना पडेगा।
हिम्मत नहीं है। हमारी प्रतीक्ष मत कीजिएगा।
आयोजन की सफलता के लिए शुभ-कामनाएं
भाई विष्णु जी
अब खुलासा कर दूं कि यह शास्त्री ब्रिज मेरे शहर जबलपुर में है हा हा हा
हम तो भाई महेंद्र को उनकी कद और काठी से पहचान लेंगे और देखना चाहेंगे की वो लट्ठ को कैसे भांजते हैं .
- विजय
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर: रंग-अबीर-उमंगें-खुशियाँ लेकर आती फाग
महेंद्र जी आ रहै भै जी, बस आप हमारे रुकने का इंतजाम करे.
धन्यवाद
गलती सुधार...
महेंद्र जी, हम आ रहै है जी, बस आप हमारे रुकने का इंतजाम करे.
धन्यवाद
शास्त्री पुल और रेलवे लाइन तलाशी जाये! :-)
हमतो भइये दूर से ही मजा लेंगे।
लठ्ठ ! ना बाबा ।
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रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
हा हा पण्डितजी बहुत ही मज़ेदार होली रहेगी मगर हम अण्डर ब्रिज से देखेंगे जी हा हा
बबाल जी
हा हा मगर आयोजक तो अपुनई है ना ऊपर से काहे देखो भैय्या जी
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