11.3.09

होली संध्या पर संकल्प ले : उठो समय आमंत्रण देता युग करता है आहवान

उठो समय आमंत्रण देता युग करता है........आहवान
नवल सृजन...का समय आ गया. लाओ नया बिहान
शांति मार्ग को रोके बैठा है.....अन्धकार और अज्ञान
बनकर ज्ञान सूर्य की किरणे छेडो.. तुम नव अभियान
छुआ-छूत का भूत भगाकर करो ...तुम देश का उद्धार.

भय कुरीतियों के जंगल में पनप नहीं पाते है....फूल
घ्यान बिना जीवन के सपने आज चाटते है.......धूल
ऊँच नीच की रची राखी हुई है.......छाती पर चट्टान
मानवता की फसलें चरता.. ...अंहकार और अभिमान
भेदभाव की जड़ काटो.......लेकर संकल्प शक्ति कुठार.

11 टिप्‍पणियां:

PREETI BARTHWAL ने कहा…

आपको होली की शुभकामनाएं।

ghughutibasuti ने कहा…

बिल्कुल सही कह रहे हैं।
होली की शुभकामनाएँ।
घुघूती बासूती

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र जी
अभिवन्दन
मानवता की फसलें चरता.. ...अंहकार और अभिमान

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हमारी बधाई स्वीकार कीजिये.

- विजय

"अर्श" ने कहा…

वाह जी वाह ..बहोत खूब होली खेलाई आपने...अपने रंग से ...होली की ढेरो शुभ कामनाएं..

अर्श

लाल और बवाल (जुगलबन्दी) ने कहा…

क्या बात है पण्डितजी बहुत सुन्दर बात कही आपने।

Science Bloggers Association ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

Science Bloggers Association ने कहा…

प्रेरक गीत।

होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

बेनामी ने कहा…

bahut unchi thi

happy holi

hem pandey ने कहा…

'नवल सृजन...का समय आ गया. लाओ नया बिहान
शांति मार्ग को रोके बैठा है.....अन्धकार और अज्ञान
बनकर ज्ञान सूर्य की किरणे छेडो.. तुम नव अभियान'
-साधुवाद.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

अच्छे लेखन के लिए बधाई।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
नये रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को shabdkar@gmail.com पर रचनायें भेज सहयोग करें।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

महेंद्र जी आपके भावों के हम साथ हैं....आपके क़दमों के साथ हमारे कदम हैं ....सच.........!!