8.4.09

एक ब्लॉगर मीट : प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) से जबलपुर प्रवास के दौरान

दिनाक ४ अप्रेल को इलाहाबाद से भाई प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) ने मोबाइल से जानकारी दी कि मै दिनाक 5 अप्रेल को जबलपुर पहुँच रहा हूँ . दिनाक ५ अप्रेल को प्रमेन्द्र जी का मुझे फोन मिला कि मै जबलपुर पहुँच गया हूँ . चूंकि ६ अप्रेल को समीर लाल जी की पुस्तक "बिखरे मोती" का जबलपुर में अंतरिम विमोचन किया जाना था तो वही मुलाकत करने का निश्चय किया . सुबह प्रमेन्द्र प्रताप सिंह का फोन मिला और उन्होंने मुझसे पुछा कि आप कहाँ पर है और मै क्या आपसे मुलाकात कर सकता हूँ तो मैंने उन्हें सहज भाव से घर पर आने का निमंत्रण दे दिया.



प्रमेन्द्र प्रताप सिंह अपने शहर के निवासी ताराचंद जी (जो बर्तमान में हरिभूमि समाचार पत्र जबलपुर में कार्यरत है) के साथ मेरे निवास स्थान पर ठीक १२ बजे पहुँच गए . ब्लागिंग के सन्दर्भ में और वरिष्ठ ब्लागरो के बारे में काफी समय तक हम दोनों एक दूसरे से बातचीत करते रहे . उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में उनके घर के समीप ज्ञान जी (मानसिक हलचल) का निवास स्थान है . उनसे काफी देर तक महाशक्ति ब्लॉग और उससे जुड़े ब्लॉगर नीशूजी (बर्तमान में दिल्ली में} और ताराचंद और अन्य जुड़े सहयोगी ब्लागरो के सम्बन्ध में चर्चा होती रही और यह भी विचार किया कि सार्थक ब्लागिंग हो और हम इसमें क्या सहयोग कर सकते है आदि आदि बातो पर हमने विचार किया . करीब पॉँच घंटे कब गुजर गए पता ही नहीं चला .

उसी दिन समीर जी पुस्तक बिखरे मोती के अंतरिम विमोचन के अवसर पर प्रेमेन्द्र प्रताप जी से फिर रात्री में दूसरी मुलाकात हुई . प्रेमेन्द्र जी सात तारीख को दर्शनीय भेडाघाट प्रपात देखने गए और उन्होंने भेडाघाट प्रपात की जमकर तारीफ की और यहाँ के ब्लागरो की उन्होंने जमकर तारीफ भी की . उन्हें जबलपुर शहर और यहाँ के निवासियो का व्यवहार बहुत ही पसंद आया है और फिर से जबलपुर आने का वादा भी किया है . प्रेमेन्द्र जी निहायत व्यवहार कुशल संस्कारवान उत्साही ब्लॉगर है और ब्लागिंग के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरना चाहते है और बेहद उर्जावान नवयुवक है . उनसे पहली बार मुलाकात कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मै किसी सुपरिचित से मुलाकात कर रहा हूँ . यह सच है कि ब्लागिंग के माध्यम से आपस में भाई चारा और सम्बन्ध स्थापित होते है.

9 टिप्‍पणियां:

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

धन्‍यवाद,
आपके साथ गुजारे गये एक एक पल मुझे सदा स्‍मरण रहेगे। आपसे अब इलाहाबाद में मिलना चाहूँगा।

"अर्श" ने कहा…

bahot badhiya aur bahot bahot badhaayee aap sabhi ko...


arsh

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

सुंदर संस्मरण .

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

लगता है हमें भी जल्द ही जबलपुर आना होगा।

समयचक्र ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
समयचक्र ने कहा…

दिनेशराय द्विवेदी जी
सादर अभिवादन
आप जबलपुर आये आपका हार्दिक स्वागत है यह हमारा सौभाग्य ही होगा.

संगीता पुरी ने कहा…

यह सच है कि ब्लागिंग के माध्यम से आपस में भाई चारा और सम्बन्ध स्थापित होते है...अच्‍छी बात है।

ghughutibasuti ने कहा…

भेड़ाघाट और उससे भी अधिक धूँआधार मुझे भी बहुत सुन्दर लगे थे। जबलपुर निश्चित ही बहुत सुन्दर शहर है। साथी ब्लॉगरों से मिलना कुछ ऐसा होता है कि पहले जिनके मन मस्तिष्क को आप देखते हैं अब उन्हें सशरीर देख रहे हों।
घुघूती बासूती

Divya Narmada ने कहा…

जबलपुर में चिट्ठाकारों की गोष्ठी और भाई समीर लाल के काव्य संकलन 'बिखरे मोटी' का विमोचन करना सुखद अनुभव रहा. समाचार और चित्र 'दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम' पर उपलब्ध हैं. चिट्ठाकारी पर जल्दी ही एक कार्यशाला भी होना संभावित है. सूचना दिव्यनर्मदा पर दी जायेगी. - आचार्य संजीव 'सलिल' सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम