14.4.09

व्यंग्य कविता - आधुनिक नेता और जनता जनार्दन


आजकल राजनीति एक रैलगाडी बन गई है
जिसका आने- जाने का टाइम टेबल तो है

टाइम टेबल तो.. सिर्फ दिखावे के लिए है
हक़ीकत मे.. रेलगाड़ी घंटो लेट आ रही है

इसी तरह.... राजनीति मे रोज़ राजनेता
जनता जनार्दन को.......मूर्ख बनाते है

नित .नए - नए सब्ज़ बाग़ दिखा रहे है
गर चुनाव मे जीत गए... समझा रहे है

तो ये करवा देंगे तो..... वो करवा देंगे
तो ये दिलवा देंगे तो.... वो दिलवा देंगे

चुनाव जीतने के बाद ...राजनेता फिर से
राजनीति की..गाड़ी के ड्राईवर बन जाते है

देश मे यहा वहां नाचते गाते मौज मनाते है
अगले चुनावो तक क्षेत्र से..ग़ायब रहते है

चुनाव आते ही नकली मुखैटा चेहरे पर लगाकर
जनता को चराने धोखा देने हाज़िर हो जाते है.

लेखक- एक अनाम लेखक (नाम नहीं मालूम)

9 टिप्‍पणियां:

जितेन्द़ भगत ने कहा…

नेताओं के बारे में आपने सही कहा जी।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

टाइम टेबल तो.. सिर्फ दिखावे के लिए है
हक़ीकत मे.. रेलगाड़ी घंटो लेट आ रही है
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और चुगद है जनता। रेलगाड़ी से बहुत अपेक्षा रखती है, राजनीति से भी!

Hari Joshi ने कहा…

काश सब इस अनाम लेखक जैसे समझदार हो जाएं। यह गोपनीय तथ्‍य सबको पता लग जाए।

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

सरजी इतना कुछ पता होते हुए भी वोट देना हमारी मजबूरी है

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

चुनाव आते ही नकली मुखैटा चेहरे पर लगाकर
जनता को चराने धोखा देने हाज़िर हो जाते है.......
समकालीन संकट पर लेखनी .रचनाकार को धन्यवाद .

अजय कुमार झा ने कहा…

mahender bhai, rel ke baare mein kahe aa mantriyaa ko kahe chhod diye, badhiyaa likhe hain.

संगीता पुरी ने कहा…

आज के राजनीतिक हालात को देखते हुए बिल्‍कुल सटीक है ये रचना।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

महेन्द्र जी, अनाम लेखक ने आज के हालात का बाखूबी चित्रण किया है.....सचमुच राजनीति रेलगाडी जैसी हो गई है और इन नेताओं का वश चले तो ये देश को बैलगाडी बना कर छोडें.

Prem Farukhabadi ने कहा…

mishraji,

तो ये करवा देंगे तो..... वो करवा देंगे
तो ये दिलवा देंगे तो.... वो दिलवा देंगे

sach baat to yahi hai. achchha laga.