खुशबू गुलशन में बिन फूलो के न होती
लहरे समुन्दर में बिन पानी के न होती.
गर प्यार न हो तो क्या रखा है वन में
तुम न होते तो खुशियाँ न होती दिल में.
सनम तेरी खातिर फूल क्या है मेरे लिए
तेरी खातिर हम काँटों पर भी चल देंगें.
तेरी खातिर हम बगावत जहाँ से कर देंगे
तू कहें अगर पानी में भी आग लगा देंगे.
पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए.
किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है
चैन आता है दिल में जब कोई पास होता है.
लहरे समुन्दर में बिन पानी के न होती.
गर प्यार न हो तो क्या रखा है वन में
तुम न होते तो खुशियाँ न होती दिल में.
सनम तेरी खातिर फूल क्या है मेरे लिए
तेरी खातिर हम काँटों पर भी चल देंगें.
तेरी खातिर हम बगावत जहाँ से कर देंगे
तू कहें अगर पानी में भी आग लगा देंगे.
पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए.
किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है
चैन आता है दिल में जब कोई पास होता है.
14 टिप्पणियां:
Achchee rachna, jajbaton se bharee.
नहीं सुमन खुशबू जहाँ गुलशन है बेकार।
बीते पल के लिए सृजन भरा खूब है प्यार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
प्रिय मित्र
आपकी उत्कृठ रचनाओं को प्रकाशन के लिए अवश्य ही भेंजे। पत्रिकाओं के पते के लिए मेरे ब्लाग पर पधारें।
अखिलेश शुक्ल्
http://katha-chakra.blogspot.com
http://rich-maker.blogspot.com
भावाभिव्यक्ति बहुत प्रशंसनीय है
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए.
aisa hi hota hae hamesha jab dil bekraar ho jata haE
बढ़िया भाव हैं.
nice rachna...likhte rahiye..
BAHOT KHUB...
वाह क्या बेकरारी भरी कविता है !
किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है
चैन आता है दिल में जब कोई पास होता है.
" बेहद शानदार प्रस्तुती और भावः.."
regards
पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए
भावनाओं के कैनवास पर खिंची गयी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति ....अच्छा लगा पढ़कर !
आपने मोहोबत्त के अहसास से फ़िर रूबरू कराया हैं ,
भरी गर्मी में ठंडक का क्या खूब झोंका आया हैं ,
बहुत शुक्रिया ,
मेरा ख्याल हैं ,पंक्ती इस तरह रही होगी - "गर प्यार ना हो तो क्या रखा हैं जीवन में "
ब्लॉग पर ,जीवन की बजाए वन दिख रहा हैं ,
भूल चूक हेतु छमा प्रार्थी ,
आपने तो हमारी सोच को और उमंग दे दी , अब तो हम इस तरह उडेंगे कि आकाश को छूना भी कम लगे |
आपके ब्लॉग बहुत खूब होते है | आपने जो हमारी कविता " क्या समझा है पाकिस्तां ने " को जगह दी , मैं इसके लिए बहुत हर्षित हूँ | अब तो मैं हर युवा को कवि और हर कवि को युवा का रूप देने कि हिम्मत रखता हूँ |
वक्त वफादारी कब करता, कब रुकता है कहने पर,
मृत्यु कहाँ है झुकने वाली, राजाओं के कहने पर |
मिट्टी का कब जोर चला है, दृडित रूढ़ चट्टानों पर ,
नदियों ने कब धार बदल दी, तूफानों के आने पर |
हम अपनी अडिग सोच के आगे हर व्यवधान मिटा देंगे ,
युवा वर्ग की युवा सोच को, हम पहचान दिला देंगे |
वो दिल ही क्या जो बेकरार न हो।
वो इन्सां ही क्या जिसे प्यार न हो।
बहुत बहुत बधाई।
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SBAI TSALIIM
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