इश्क की दुनिया में....कई आशिक उलझते रहे है
चले गए दुनिया से इश्क को खुदा सा पूजते रहे है.
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प्यारी नजर से न देखो कही हम बेहोश न हो जाए
इश्क के सागर में न उतरो कही मदहोश न हो जाए.
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चले गए दुनिया से इश्क को खुदा सा पूजते रहे है.
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प्यारी नजर से न देखो कही हम बेहोश न हो जाए
इश्क के सागर में न उतरो कही मदहोश न हो जाए.
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8 टिप्पणियां:
waah !!
बहुत अच्छा!!१
प्यारी नजर से न देखो कही हम बेहोश न हो जाए
इश्क के सागर में न उतरो कही मदहोश न हो जाए.
bahut sundar......madhosh kar dene wala sher.....aise hi likhate rahe
बहुत सुन्दर भाव हैं. दोनों शेर लाजवाब कर देने वाले हैं.
वाह जी पंडित जी..बढ़िया.
इश्क की दुनिया में....कई आशिक उलझते रहे है
चले गए दुनिया से इश्क को खुदा सा पूजते रहे है.
बढियां लाइनें ,बधाई .
वाह वाह क्या बात है, हम तो शेर पढ कर ही बेहोश हो गये...
इश्क को खुदा सा पूजते रहे है.
achchhi baat hai mishr jee.
-vijay
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