कभी शोले फिल्म देखी थी जिसमे वीरू बसंती को पटाने मनाने के लिए टंकी पर चढ़ जाता है और उसे टंकी से उतरने के लिए बसंती हाँ कर देती है और इस फिल्म की तर्ज पर आज एक समाचार पत्र में पढ़ा की एक प्रेमिका अपने शादीशुदा प्रेमी को मनाने के लिए जाकर टंकी पर चढ़ गई और टंकी पे चढ़कर जोर जोर से अपने प्रेमी का नाम पुकारने लगी . मजमा जमा हो गया .
शादीशुदा प्रेमी मर्द अपनी पत्नी बच्चो के साथ टंकी के पास आया और उनकी उपस्थिति में वह अपनी प्रेमिका के पास खुद टंकी पर चढ़कर गया और सबकी उपस्थिति में टंकी पर ही उसने अपनी प्रेमिका की मांग भरी और उसे टंकी पर से उतार कर मरने से बचा दिया . चूंकि टंकी पर चढ़ने वाली बालिग हो गई थी इसीलिए पुलिस ने शादी के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि उस शादीशुदा मर्द उर्फ़ आज का वीरू को १५१ की धारा के तहत हवालात की राह जरुर दिखा दी .
यह लगता है कि टंकी पर अपनी मांग को लेकर चढ़ जाओ भाई लोग मना कर टंकी से उतार ही लेंगे. आगे आने वाला समय बताएगा कि टंकी पर चढ़ने उतरने के धंधे से क्या क्या ..... है. अपनी बात मनमाने के लिए समय बदलने के साथ लोगो के विचार और तरीके बदल गए है .और आज के समय में ये सब तरीके हास्यापद लगते है और लोगो के मनोरंजन का कारण बन जाते है .
7 टिप्पणियां:
कुल मिलकर अपनी बात मनवाने के लिए या तो जान देने का स्वांग भरो या किसी और की जान ले लो.
कुछ दिन बाद ये टंकिया ही नहीं होगी .
लोगो का जीवन ही शोले बन गया है/
आभार। मगल कामनाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
गनीमत नीचे मजमा नही लगा और किसीने अपनी दुकान नही लगाई " देखो एक एक रुपये मे मरने वाली प्रेमिका "(सन्दर्भ : फिल्म :फंटूश -देवानंद)सुब्रमणियम जी जैसा कह रहे है आज कल बात मनवाने के साथ व्यावसयिकता भी जुड गई है
यह तो बहुत गलत बात है जी !
यानि टंकी पर चढना तो एक तरह से फायदेमन्द् ही हुआ!!
अब शादीशुदा मर्द हवालात में मिलने कों जाएगा ,प्रेमिका ,पत्नी या कोई ओर .............................
एक टिप्पणी भेजें