27.7.09

फिर से अपने गाँवो को स्वर्ग बनायेंगे

फिर से अपने गाँवो को स्वर्ग बनायेंगे
अपने अन्दर सोये देवत्व को जगायेंगे.

गाँवो की गलियां क्यों गन्दी रहने देंगे
गंदगी नरक जैसी अब क्यों रहने देंगे.

सहयोग,श्रम से हम यह नरक हटायेंगे
रहने देंगे बाकी हम मन का मैल नहीं.

अब भेदभाव का हम खेलेंगे खेल नहीं
सब भाई भाई है सब मिलकर गायेंगे.

देवो जैसा होगा चिंतन व्यवहार चलन
फिर तो सबके सुख दुःख बाँट जायेंगे.

शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे.

साभार-युग निर्माण हरिद्वार से.

13 टिप्‍पणियां:

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

देवो जैसा होगा चिंतन व्यवहार चलन
फिर तो सबके सुख दुःख बाँट जायेंगे.

शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे...
bahut khoobsoorat .

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

पोस्ट के लिए धन्यवाद | बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर सार्थक उपदेश देती रचना के लिये आभार्

ओम आर्य ने कहा…

आज ब्लोग पर एक से बढकर एक नेक ख्वाहिशो से लबरेज रचानाये पढने को मिल रही है ......बहुत ही सुन्दर ख्यालात है आपके .......आमीन

P.N. Subramanian ने कहा…

हम सोच रहे थे की इस प्रेरणादायक सन्देश का पोस्टर बनवाया जावे और हर गाँव गाँव में प्रचारित किया जावे. बहुत ही सुन्दर. आभार.

Udan Tashtari ने कहा…

शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे.

बढ़िया भाव!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर और प्रेरणादायक संदेश.

रामराम.

बवाल ने कहा…

बहुत उम्दा कविता पण्डितजी।

Himanshu Pandey ने कहा…

मानवीय़ संकल्पों और मानवीय़ आचारॊं को प्रतिष्ठिति करता यह संदेश महानतम है । आभार । P.N. Subramanian जी की सलाह भी अत्युत्तम है ।

Arvind Mishra ने कहा…

शुभकामनाएं

जितेन्द़ भगत ने कहा…

मनोरम भाव।

Urmi ने कहा…

इस शानदार कविता के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' ने कहा…

महेंद्र भाई साहब ,ब्लॉग पड़कर अच्छा लगा ......................क्या सच मूच एसा होगा .................. में गावों में रोज़ जाता हूँ ,ना उम्मीडी के सिवा मेरे आसपास के बारह -पंद्रह गावों में ओर कुछ नही