फिर से अपने गाँवो को स्वर्ग बनायेंगे
अपने अन्दर सोये देवत्व को जगायेंगे.
गाँवो की गलियां क्यों गन्दी रहने देंगे
गंदगी नरक जैसी अब क्यों रहने देंगे.
सहयोग,श्रम से हम यह नरक हटायेंगे
रहने देंगे बाकी हम मन का मैल नहीं.
अब भेदभाव का हम खेलेंगे खेल नहीं
सब भाई भाई है सब मिलकर गायेंगे.
देवो जैसा होगा चिंतन व्यवहार चलन
फिर तो सबके सुख दुःख बाँट जायेंगे.
शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे.
साभार-युग निर्माण हरिद्वार से.
अपने अन्दर सोये देवत्व को जगायेंगे.
गाँवो की गलियां क्यों गन्दी रहने देंगे
गंदगी नरक जैसी अब क्यों रहने देंगे.
सहयोग,श्रम से हम यह नरक हटायेंगे
रहने देंगे बाकी हम मन का मैल नहीं.
अब भेदभाव का हम खेलेंगे खेल नहीं
सब भाई भाई है सब मिलकर गायेंगे.
देवो जैसा होगा चिंतन व्यवहार चलन
फिर तो सबके सुख दुःख बाँट जायेंगे.
शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे.
साभार-युग निर्माण हरिद्वार से.
13 टिप्पणियां:
देवो जैसा होगा चिंतन व्यवहार चलन
फिर तो सबके सुख दुःख बाँट जायेंगे.
शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे...
bahut khoobsoorat .
पोस्ट के लिए धन्यवाद | बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |
सुन्दर सार्थक उपदेश देती रचना के लिये आभार्
आज ब्लोग पर एक से बढकर एक नेक ख्वाहिशो से लबरेज रचानाये पढने को मिल रही है ......बहुत ही सुन्दर ख्यालात है आपके .......आमीन
हम सोच रहे थे की इस प्रेरणादायक सन्देश का पोस्टर बनवाया जावे और हर गाँव गाँव में प्रचारित किया जावे. बहुत ही सुन्दर. आभार.
शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे.
बढ़िया भाव!
बहुत सुंदर और प्रेरणादायक संदेश.
रामराम.
बहुत उम्दा कविता पण्डितजी।
मानवीय़ संकल्पों और मानवीय़ आचारॊं को प्रतिष्ठिति करता यह संदेश महानतम है । आभार । P.N. Subramanian जी की सलाह भी अत्युत्तम है ।
शुभकामनाएं
मनोरम भाव।
इस शानदार कविता के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
महेंद्र भाई साहब ,ब्लॉग पड़कर अच्छा लगा ......................क्या सच मूच एसा होगा .................. में गावों में रोज़ जाता हूँ ,ना उम्मीडी के सिवा मेरे आसपास के बारह -पंद्रह गावों में ओर कुछ नही
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