कोई हवा का झोंका...कहीं बुझा न जाए
हिफाजत करता हूँ मै अपने इन हाथो से.
***
हमने चिराग बहुत से जलाए इन हाथो से
पर उजाला न हो सका अधियारे दिल में.
***
घर में उजाला जिन चिरागों ने किया था
उन चिरागों ने ही अपना घर जला डाला.
***
जिन चिरागों को....अपने लहू से जलाया
अब बुझने लगे उनकी सूख गई है बाती
***
तुम्हारे वगैर हमें पसंद नहीं है अधियारे
मेरे लिए ये रोशनी तुम लौटकर आ जाओ
अधियारे दिल में तुम उजाला फैला जाओ.
***
8 टिप्पणियां:
अच्छे हैं!
छुटटे शेर भी बहुत प्यारे सहेते हैं आपने।
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
----------
डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ
hame to bahut achcha laga..jarur roshani hogi..dhanywaad sundar bhav ke liye
बहुत सुंदर जी. धन्यवाद
वाह बहुत ही लाजवाब. आपको दीपावली की शुभकामनाएं।
रामराम.
बहुत बढिया!!
chiragon ki ye ladi wo bhi diwali main?
Bahut khoob !!
दीप की स्वर्णिम आभा
आपके भाग्य की और कर्म
की द्विआभा.....
युग की सफ़लता की
त्रिवेणी
आपके जीवन से ही आरम्भ हो
मंगल कामना के साथ
एक टिप्पणी भेजें