22.10.09
आज का विचार : समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है....
समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है . दुनिया के बाजारों में से अभीष्ट वस्तुएँ समय और श्रम का मूल्य देकर ही खरीदी जाती है . प्रत्येक क्षण को बहुमूल्य मन जाए और समय का कोई भी अंश आलस्य-प्रमाद में नष्ट न होने पे इसका पूरा - पूरा ध्यान रखा जाए . समय की बर्बादी अप्रत्यक्ष आत्महत्या है . धन के अपव्यय से भी असंख्य गुनी हानि समय के अपव्यय से होती है . खोया धन पाया जा सकता है पर खोया समय पाया नहीं जा सकता है . घड़ी को सच्ची सहचरी बनाया जाए .जिसमे सभी दैनिक उत्तरदायित्वों का समुचित समावेश हो . सोकर उठने से लेकर रात्रि को सोते समय तक की पूरी दिनचर्या हर रोज निर्धारित कर ली जाए और शक्तिभर यह प्रयत्न किया जाए की हर कार्य समय पर पूरा होता रहे . परिस्थिति बदल जाने पर आकस्मिक कारणों से तो हेर फेर हो सकता है पर आलस्य प्रमादवश व्यतिरेक न होने दिया जाए .
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8 टिप्पणियां:
धन के अपव्यय से भी असंख्य गुनी हानि समय के अपव्यय से होती है
क्योकि धन दुबारा -- पर समय कभी वापस नही आ सकता.
सदविचार बहुत सुन्दर
बिल्कुल सही कहा आपने.
रामराम.
महेंद्र जी आप ने बिलकुल सही कहा.सत्य वचन
धन्यवद
समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है....
बिलकुल सही बात
बिल्कुल सही।
समय से बड़ा कुछ नही...सुंदर विचार...धन्यवाद
बहुत सही बात .. घडी के हिसाब से काम करने पर समय की बहुत बचत होती है !!
waaqai mein samay se badhkar kuch nahin..........
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