12.11.09

माइक्रो पोस्ट ....

भारतीय संस्कृति कभी बहुत ही उच्चकोटि की थी . भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ परम्पराएं संसार भर में सम्मान की नजर से देखी जाती थी पर अन्धकार युग में विदेशी दासता के साथ साथ भारतीय परम्पराओ में अनेको विकृतियो ने प्रवेश कर लिया और उनमे कुरीतियों अन्धविश्वासों और मूढ़ मान्यताओ ने अपनी गहरी जड़ें जमा ली है .

वर्णाश्रम व्यवस्था सनातन है पर जाति पांति के नाम पर बरती जाने वाली नीच और छुआछूत के लिए उसमे कोई स्थान है . मनुष्यमात्र एक है . गुण कर्म स्वभाव के कारण किसी को उंच नीच ठहराया जा सकता है पर जन्म और वंश के कारण न कोई उंच होता है और न कोई नीच होता है .

नर और नारी के बीच बरती जाने वाली असमानता भी इसी प्रकार अनुचित है . मनुष्य जाति के दोनों घटक सामान्य रूप से एक है उनके बीच भेदभाव उत्पन्न करने वाली प्रथाओ को अमान्य ठहराया जाना चाहिए . परदा प्रथा जैसे रिवाज इस युग में स्वीकार्य योग्य नहीं होना चाहिए .

14 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Sach hai pandit ji
kai dino bat aaye
nice post

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

bahut achchi baat batayi aapne....

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

माइक्रो टिप्पणी :)

Udan Tashtari ने कहा…

सत्य वचन!!

M VERMA ने कहा…

उचित और सार्थक बात. विचारणीय भी.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

महेन्‍द्र जी आपने बिल्‍कुल सही कहा, भारतीय परम्‍परा को बिल्‍कुल गलत ढंग से प्रस्‍तुत किया जा रहा है।

संगीता पुरी ने कहा…

आपका कहना सही है कि विदेशी दासता के साथ साथ भारतीय परम्पराओ में अनेको विकृतियो ने प्रवेश कर लिया .. इसके बावजूद उन विकृतियों को सुधारने की अपेक्षा हम फिर विदेशी परंपराओं की दासता पाने का रूख कर रहे हैं !!

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

मैक्रो पोस्ट मेक्रो संदेश देती हुई- बढिया विचारणीय और संस्कृति का संवाहक॥

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने......

शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

is desh men bahut kuchh ACHCHHA tha par hawaa aisi lagi ki sab kuchh.......??????

राज भाटिय़ा ने कहा…

सत्य वचन जी

Himanshu Pandey ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति । आभार ।

Urmi ने कहा…

मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ ! आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है और बहुत ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बिल्कुल सत्य वचन कहे आपने.

रामराम.