12.12.09

यात्रा संस्मरण : ग्वालियर का भव्य अनोखा सूर्य मंदिर

  • विगत सप्ताह मुझे ग्वालियर जाने का अवसर प्राप्त हुआ वैसे तो ग्वालियर शहर ऐतिहासिक है और अपने साथ कई दुर्लभ यादगारे संजोये है. ग्वालियर में राजा मानसिह का किला और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधी है और भी कई दर्शनीय स्थान है. इस बार मुझे ग्वालियर में भव्य सूर्य मंदिर का अवलोकन करने का मौका मिला. सूर्य मंदिर का पट दिन में ठीक बारह बजे बंद कर दिया जाता है. बारह बजने को दस मिनिट शेष थे तब मै विलम्ब से इस मंदिर में पहुंचा.

सूर्य मन्दिर का प्रवेश सिह द्वार


सूर्य मन्दिर का सामने से लिया गया फोटो


सूर्य मन्दिर के रथ के पहिये

इस मंदिर को बिड़ला स्मृति में बनवाया गया . आम बोलचाल में बिड़ला जी का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर की भव्यता बस देखते ही बनती है. यह मंदिर अदभुत कलाकृति का अनुपम उदाहरण है. मंदिर की बाहय दीवारों पर धार्मिक देवी देवताओ की, महापुरुषों और साधू संतो के नाम सहित मूर्तियाँ उकेरी गई है. मंदिर के चारो तरह ख़ूबसूरत मनोरम हरियाली लिए विशाल बगीचा है. सूर्य मंदिर एक रथ सहित विशाल आकृति लिए बनाया गया है. सूर्य भगवान के रथ को साथ घोड़े जोत रहे है. रथ के पहिये बनाये गए है. मंदिर के भीतर सूर्य भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापित है जो सूर्योदय से लेकर सूर्य के अस्ताचल होने तक सूर्य की किरणों से आलोकित रहती है जो इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता है.


मन्दिर की दीवारों पर हिन्दू धार्मिक देवी देवताओ की मूर्तियाँ उकेरी गई है एवं प्रत्येक देवी संतो और महापुरुषों के नाम भी उकेरे गए है .


सूर्यमंदिर के निचले हिस्से में सूर्य भगवान के रथ के पहिये द्रष्टव्य है .


सूर्य मन्दिर का भव्य उपरी हिस्सा अनुपम बेजोड़ कारीगिरी का नायाब नमूना


सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो .




सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो जिसमे सूर्य भगवान के रथ में जुटे हुए घोड़े सूर्य भगवान के रथ को सात घोड़े जोते जाते थे.


अवकाश के दिनों में काफी दूर दूर से दर्शक इस मन्दिर को देखने आते है .






सूर्य मन्दिर की बाहरी दीवार पर भगवान शिव और पारवती की पत्थरो पर उकेरी गई भव्य प्रतिमा

मुख्य सूर्य मन्दिर के पूर्व दिशा में स्थापित सूर्य भगवान का एक मन्दिर

मन्दिर की गुम्बज की चारो दिशाओ में उपरी हिस्सों में विशाल शीशे लगाए गए है जिनमे से सूर्य की किरणे परिवर्तित होकर मंदिर के अन्दर स्थापित भगवान सूर्य के प्रतिमा सीधे पड़ती है जिसके कारण सूर्य भगवान की प्रतिमा प्रकाशमान दिखती रहती है और सूर्य किरणों से आलोकित होकर चमकती रहती है जो अदभुत वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है और दर्शनीय है . भगवान सूर्यदेव की मूर्ती का दर्शन करते समय खुद अपने आप में अनोखी उर्जा के प्रवेश होने का अनुभव होता है.




मन्दिर के चारो और ख़ूबसूरत बाग़ है जिसमे चारो और फैली हरियाली मनमोहक है जिसे निहार कर काफी मानसिक शान्ति का अनुभव होता है . चूंकि मंदिर के नियमो के अनुसार मंदिर परिसर के अन्दर स्थित भगवान सूर्य देव की प्रतिमा की फोटो उतारना मना है इसीलिए मैंने दिव्य भगवान सूर्य देव की मूर्ती की फोटो अपने कैमरे से नहीं उतारी. मंदिर के बाहरी द्रश्यो की फोटो अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ.

ॐ सूर्य देव्यो नमः

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

वाह मिश्रा जी, आपके मध्यम से इस सूर्य मंदिर को हमने भी देख लिया..दर्शन हुए-धन्य हुए.


बहुत सुन्दर तस्वीरें और उम्दा विवरण.

आभार.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह मिश्रा जी ..... बहुत हो लाजवाब चित्र लिए हैं.. सजीव ......... आपके बहाने हमने भी दर्शन कर लिए ........

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

अच्छा, यह तो हमें मालुम न था। सुन्दर लगता है यह मन्दिर।
पोस्ट बहुत अच्छी बनी है।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Wah guru gazab foton liye aapane
zordar riport

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

पहली बार पता चला इस मंदिर का वैसे pattern कोणार्क का ही है