औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं
औरो को जलाने वाले भी खुद जला करते हैं.
गरीबो के घरौदे जलाकर तुम्हे क्या मिलता है
गरीब की आह हर मोड़ पे तुझे बरबाद कर देगी
गुरुर है तो खुद अपना आशियाँ जलाकर देखो.
ऐ मानवता के दरिन्दे महेंद्र तुझे सलाह देता है.
शांति मिलेगी गरीब की कुटिया सजाकर देखो.
तुम औरो को बेवजह जलाकर खुद न जलो
मानवता के पुजारी बन चैन की वंशी बजाओ.
कागज के पुराने टुकड़ो से -
रचनाकार - महेंद्र मिश्र .
5 टिप्पणियां:
सही बात है महेंद्र जी अपना कोई वर्षो पुराना लेख कविता कहीं कागज़ के टुकडो में मिल जाए तो दिल को बड़ा शकुन सा मिलता है क्योंकि मैंने भी यह अनेक मौको पर महसूस किया है ! सुन्दर प्रस्तुति !
बहुत ही सुन्दर कविता. एक सन्देश देती हुई कविता.
ऐ मानवता के दरिन्दे महेंद्र तुझे सलाह देता है.
शांति मिलेगी गरीब की कुटिया सजाकर देखो.
तुम औरो को बेवजह जलाकर खुद न जलो
मानवता के पुजारी बन चैन की वंशी बजाओ.
मानवता के पुजारी बन चैन की वंशी बजाओ.
सुंदर नसीहत और बेहतरीन रचना
सुंदर अति सुंदर.
रामराम.
सुंदर रचना.
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