तीन सालो का ब्लागिंग का सफ़र....खूब पोस्टे पढी....खूब लिखी और खूब टिप्पणियां दिलोजान से अर्पित की . हिंदी ब्लागिंग को देखा जाना और समझा.... बस यही समझ में आया है की बस वही खींच तान, लल्लू चप्पू बाजी, संयमित मर्यादित नपे तुले शब्दों का अभाव , जो कहते है की गुटबाजी है इसे समाप्त किया जाना चाहिए वे ही गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे है . किसी को भी अमर्यादित टीप भेज देना और वरिष्ट होने का दावा करना ...कहाँ तक उचित है . किसी की भी खिल्ली उड़ाना और किसी भी विषय पर विचार किये वगैर अपनी बात थोप देना आदि आदि यहाँ .... बखूबी देखने को मिल रही है ...अब तो इस मंच से साहित्यकार कवि लेखक भी जुड़ने से डरने लगे है ..को लेकर...मैंने यह पोस्ट " क्या यही स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मंच है की किसी पर भी कुछ भी थोपो ....क्या ब्लागिंग जीनियस करते है आदि आदि....क्यों न अब ब्लागिंग को राम राम कर ली जाये ".
अत्यंत भावावेश में लिख दी थी जिसके परिपेक्ष्य में आदरणीय काजल कुमार, डाक्टर मनोज मिश्र, समीर लाल जी, डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी, भाई मिथिलेश दुबे, अजय कुमार जी, राज भाटिया जी, मनोज कुमार, अजय कुमार झा, ज्ञानदत्त जी पाण्डे, ताउजी, दिनेश राय जी द्विवेदी जी, अलबेला खत्री जी , अरविन्द मिश्र, भाई ललित शर्माजी , सतीश पंचम जी, गिरीश बिल्लौरेजी, भाई अनिल पुसदकर जी , खुशदीप सहगल जी, डा.अमर कुमार जी, स्मार्ट इंडियन , जी.के. अवधिया जी , सिद्धार्थ जोशी जी, मिरेड जी, सुरेश चिपलुकर जी, पी.सी.गोदियाल जी ,पंडित डी.के.शर्मा जी, निर्झर'नीर, शिव कुमार जी मिश्र और अदा जी के विचार प्राप्त हुए .
आप सभी के विचारो पर मैंने काफी मनन और चिंतन किया और उसके उपरांत पुन: मैंने आप सभी से जुड़े रहने का फैसला कर लिया है . पुन जुड़ने का फैसला " आप सभी से जो स्नेहिल प्यार और निरंतर आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है" के कारण ले रहा हूँ . साथ डा.अमर कुमार जी का आभारी हूँ जिन्होंने अपने विचार के माध्यम से जो गुरुमंत्र दिया है उस पर अपनी कलम के माध्यम से अमल करने की पुरजोर कोशिश करूँगा. शायद यही कमी थी की यह सब माहौल देखकर जल्दी विचलित हो जाता था . इस गुरु मन्त्र से निसंदेह मेरी कमी जल्द दूर हो जाएगी...
आभारी हूँ आप सभी की टीप के लिए जिससे मेरे मानसिक मनोबल बढ़ा है और पूरे मनोयोग से एक नई उर्जा के साथ ब्लागिंग करूँगा...और करता रहूँगा. ब्लागिंग के माध्यम से मेरी पोस्टो की चर्चा बिना लाग लपेट के सीधे अखबारों में हो जाती है और आप सभी का स्नेह समय समय पर मिलता रहता है इसीलिए मै ब्लॉग लिखने में रूचि रखता हूँ .
अंत में एक बात - पर मित्रो यह न समझना की अमरसिह की तरह लटके झटके पढ़ा कर फिर से वापिस आ गया हूँ .. हा हा हा हा
....
20 टिप्पणियां:
आपने बिल्कुल सही फैसला किया है!
हम तो यही कहेंगे कि लोग कितना भी टाँग खीचने की कोशिश कर लें, सही लेखन उभर कर सामने आ जाता है। मस्ती में मस्त होकर लेखन कीजिये।
मिश्र जी, चांदनी चौक की ये गलियाँ इतनी घुमाऊ दार है कि जो एक बार घुस गया समझो बाहर निकलना आसान नहीं ! :)
स्वागत है मिसिर जी। स्वागत है।
यह हुई न बात.
स्वागतम बडे भाई
आप हमेशा कलम चलते रहे...यही दुआ है....
स्वागत है जी अभी हमारी टंकी भी तेयार हो रही है, फ़िर भटकने की कोई जरुरत नही, सब टंकी पर चढ कर विरोधियो को मोसी याद दिलयागे, तब तक लगे रहिये यही, बहुत अच्छा किया .धन्यवाद
कल मैने भी आपको टिप्पणी दी थी .. पर शायद भ्ोजते वक्त कोई समस्या आ गयी .. गलत सलत टिप्पणी देनेवालों को नजरअंदाज करना ही बेहतर रहता है .. अपने लक्ष्य को पाने के लिए बहुत बातों की अनदेखी करनी पडती है !!
चलिए अच्छा है आपके वापस आने से आपका चिर स्नेह और शक्ति संबल बना रहेगा ,बस अब निरंतर लगे रहिए
अजय कुमार झा
यहाँ से वापस जाना संभव नही और अब तो आप जैसों की बहुत ही ज़रूरत है..क्योंकि ब्लॉगिंग के गुरु बन गये है आप सब बड़े लोग...हम छोटो को आशीर्वाद कौन देगा..
एकदम सही फैसला. आपके बने रहने में ही उनकी हार है...आप पूरी दृढ़ता से जुटे रहें...अनन्त शुभकामनाएँ.
लिए अच्छा लगा आपने ..सही फैसला किया ...बस बने रहिये...यह सब तो होता ही रहेगा...
अंत भला तो सब भला...
आपको लोहड़ी और मकर संक्रांति की बहुत-बहुत बधाई...
जय हिंद...
आपका यहां से पलायन ना करना ही विघ्नसंतोषियों को करारा तमाचा है. आज की इस पोस्ट के साथ दो चुटकले लगाना बनता था मिश्रजी.:) खैर कल एक पूरी पोस्ट ही लिख दिजियेगा.
रामराम.
जबलपुर ब्रिगेड ज़िंदाबाद,ब्रिगेडियर महेन्द्र मिश्र ज़िंदाबाद।नर्मदे हर।
Welcome Back Sirjee
ये हुई ना बात, आप हमारे हिन्दी ब्लोगिंग जगत के धरोहर हो , भला आपको हम कैसे जाने दे सकते है । अब फिर से लिखना शुरु किजीए तो काम बने ।
kuch to log kahenge logon ka kaam hai kehna---------isliye sab bhulakar apne kaam mein lage rahiye aur likhte rahiye agar duniya ki parwaah karenge to ye to kahegi ki saans bhi mat lo ------kya kya chodenge.
उचित फैसला।
फिर भी मैं तो यही कहूंगा कि उतरते ही उतर आए टंकी से नीचे...
लेकिन हमें पता नहीं बताया कोई बात नहीं भाटियाजी की टंकी तैयार हो रही है उसी पर चढ़ेंगे।
और प्रेक्टिस हो जाएगी तो खुदै ही बनवा लेंगे :)
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