13.1.10

मकर संक्रांति विशेष - हाल क्या था दिलो का हमसे पूछो न सनम ...उनका पतंग उड़ाना गजब हो गया ....

ओह जब जब मकर संक्रांति आती है तब अपना बचपना भी याद आ जाता है और उन सुखद दिनों की स्मृतियाँ दिलो दिमाग में छा जाती है . वाकया उन दिनों का है जब मै करीब पन्द्रह साल का था . कहते है की जवानी दीवानी होती है . इश्क विश्क का चक्कर भी उस दौरान मेरे सर पर चढ़कर बोल रहा था .





मकरसंक्रांति के दिन हम सभी मित्र पतंग धागे की चरखी और मंजा लेकर अपनी अपनी छतो पर सुबह से ही पहुँच जाते थे और जो पतंगे उड़ाने का सिलसिला शुरू करते थे वह शाम होने के बाद ही ख़त्म होता था . मेरे घर के चार पांच मकान आगे एक गुजराती फेमिली उन दिनों रहती थी . उस परिवार के लोग मकर संक्रांति के दिन अपने मकान की छत पर खूब पतंग उड़ाया करते थे . उस परिवार की महिलाए लड़कियाँ भी खूब पतंगबाजी करने की शौकीन थी .




उस परिवार की एक मेरे हम उम्र की एक लड़की खूब पतंग उड़ा रही थी मैंने उसकी पतंग खूब काटने की कोशिश की पर उसने हर बार मेरी पतंग काट दी . पेंच लड़ाने के लिए बार बार नए मंजे का उपयोग करता .हर बार वह मेरी पतंग काटने के बाद हुर्रे वो काट दी कहते हुए अपनी छत पर बड़े जोर जोर से उछलते हुए कूदती थी और विजयी मुस्कान से मेरी और हंसकर देखती तो मेरे दिल में सांप लोट जाता था .



एक दिन मैंने अपनी पतंग की छुरैया में एक छोटी सी चिट्ठी बांध दी और उसमे अपने प्यार का इजहार का सन्देश लिख दिया और उसमे ये भी लिख दिया की तुमने मेरी खूब पतंगे काटी है इसीलिए तुम्हे मै अपना गुरु मानता हूँ . छत पर वो खड़ी थी उस समय मैंने अपनी वह पतंग उड़ाकर धीरे से उसकी छत पर उतार दी . पतंग अपनी छत पर देखकर लपकी और उसने मेरी पतंग को पकड़ लिया और पतंग की छुर्रैया में मेरा बंधा संदेशा पढ़ लिया और मुस्कुराते हुए काफी देर तक मुझे देखती रही और मुझे हवा में हाथ हिलाते हुए एक फ़्लाइंग किस दी . उस दौरान मेरे दिमाग की सारी बत्तियां अचानक गुल हो गई थी .



मकर संक्रांति के बाद एक दो बार उससे लुक छिपकर मिलना हुआ था . वह शायद मेरा पहला पहला प्यार था शायद उसका नाम न लूं तो भारती था . अचानक कुछ दिनों के बाद बिजनिस के सिलसिले में उनका परिवार गुजरात चला गया और वो भी चली गई उसके बाद उससे कभी मिलना नहीं हुआ . जब जब मकर संक्रांति का पर्व आता है तो उसके चेहरे की मुस्कराहट और और उसका पतंकबाजी करना और ये कह चिल्लाना वो काट दी है बरबस जेहन में घूमने लगता है .

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10 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

आपको मकर संक्रान्ति की बहुत-बहुत बधाई ।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आपकी पोस्ट नें तो यादों के समुन्दर में डुबो दिया ,खिचड़ी पर आपको बहुत शुभकामना.

Udan Tashtari ने कहा…

पान की दुकान और खजाना पर पढ़ कर तीसरी बार आये यहाँ..


लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की आप को हार्दिक शुभकामनाये.

राज भाटिय़ा ने कहा…

अरे आप की पतंग तो सच मै कट गई... अब तो भारती भी दादी बन गई होगी..
आपको मकर संक्रान्ति की बहुत-बहुत बधाई

माधव( Madhav) ने कहा…

अच्छी लव स्टोरी है सर , लव आज कल , शायद अगले जन्म आप उनसे मिल जाए ,

Smart Indian ने कहा…

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!

उसका मांझा ज़रूर बरेली का होगा.
काटे तुरंत - हर पेंच का अंत!

vandana gupta ने कहा…

makar sankranti ki shubhkamnayein.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

वाह क्या काटी है --- नाम न लूं तो भारती था और लूं तो क्या था !!!

हायSSS सुनके हमारे कलेजे पर भी सांप लोट गया.

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!
:)

rony ने कहा…

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!

Pune City

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र भाई सच में इसी लिए कहा गया है कि पुरानी यादें मरते दम तक याद रहती हैं और वो भी यदि पहला प्यार हो तो उसकी छाप तो अगले जनम तक जायेगी. कोई बात नहीं """ फिर जनम लेंगे हम """" मकर संक्रांति की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ.
- विजय तिवारी "किसलय "