जनता ने इन पर विश्वास जताकर इन्हें जिताकर ताज ए तख़्त पर बैठाया और उम्मीद की सरकार से उन्हें राहत मिलेगी क्योकि चुनावों के पूर्व इन नेताओं ने भारी भारी राहत पैकेजों की घोषणा की थी . सरकार बनते ही जिस तरह से मंहगाई ने तांडव नृत्य कर अपना असर दिखाना शुरू किया तो उसने जनता जनार्दन की कमर ही तोड़ कर रख दी . पहले दाल ने अपना असर दिखाया जिससे सबकी दाल पतली हो गई और मंहगी होने के कारण गरीबो के घर में गल नहीं रही है . पिछले साल शक्कर के मूल्य भाव २७ से २८ रुपये प्रति किलोग्राम थे आज अचानक शक्कर के मूल्य ४५ रुपये पचास पैसे हो गए है और सुनने में आया है की शक्कर के भाव पचास रुपये तक करने की साजिशे की जा रही है .
सरकार की त्रुटी पूर्ण नीतियो के कारण पूरा मार्केट बुरी तरह से वायदा बाजार और सटोलियो के चंगुल में फंस गया है . सटोलियो और बिचौलियो द्वारा भरी स्तर पर की जाने वाली कमीशनखोरी के चलते बाजार में आवश्यक वस्तुओ की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है . बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित करने में सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हो रही है जिसका खामियाजा जनता जनार्दन को भुगतना पड़ रहा है .
जबलपुर शहर में दूध के रेट एक साल पहले करीब पंद्रह से सोलह रुपये लीटर थे और दूध माफियो के चलते आज जबलपुर शहर में दूध २८ रुपये लीटर बेचा जा रहा है और उसे इस माह से तीस रुपये लीटर बेचे जाने की कोशिशे की जा रही है . दूध जो बच्चो का आवश्यक आहार निवाला है क्या वो भी मंहगा होने के कारण बच्चो को नसीब नहीं होगा . यह सब देखकर दुःख होता है . क्या सरकार ने गांधारी की तरह आँखों में पट्टी बांधकर व्यापारियो को खुली छूट दे दी है की तुम रेट बढाओ हम तुम्हारे साथ है . सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है .
अब समय आ गया है की जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को जनता के सुख दुःख की परवाह नहीं है तो बढ़ती मंहगाई के खिलाफ जनता जनार्दन को खुद आगे आना होगा वरना इसके परिणाम भुगतने तैयार रहना होगा . मंहगाई एक ऐसा मुद्दा है जिसका असर सब पर पड़ता है इसीलिए हम सभी को इस मसले पर सजग रहना चाहिए और हर हाल में बढ़ती मंहगाई के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए .
आलेख - महेन्द्र मिश्र
जबलपुर
8 टिप्पणियां:
महगाई तो वाकई कहर बरपा रही है
अभी तो वाकई गजब हो रहा है. शक्कर सिर्फ़ ४५ रुं किलो ही हुई है. अभी तो देखते जाईये.
रामराम.
.वत्स मिसरा
देख बालक ये जो डेरी मालिक हैं न उनमें कुछ कांग्रेस के कुछ भाजपा कुछ गुदा गर्दी वाले अब इनके खिलाफ कौन बोलेगा बता बच्चा तेरे शहर जैसा हाल पूरे देश काहै के हैं अब सोच कौन किसके खिलाफ बोलेगा
mahangai to vakai me kamar tod ke rakh diyahai
ramram
महंगाई तो सरकार की बाजारवादी नीतियों का अवश्यंभावी परिणाम है।
सही कह रहें हैं.
स्वामी भविष्यवक्तानंद जी
टीप के लिए आभार . आपने मुझे बालक कह संबोधित किया सो ठीक है मगर मै पापा की उम्र का हूँ . बेटा बुरा न मानना . हा हा हा हा
इस सरकार का हाथ गरीब के संग है, फ़िक्र नोट.... जल्द ही गरीब बेचारा भूख से मर जायेगा, तो गरीबी खत्म, फ़िर अमीर ही अमीर जी, लेकिन इसे बनाने वाला, इसे जीताने वाला कोन है? यही गरीब तो अब भुगतो
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