आज एक बहुत करीबी मित्र के यहाँ मै मिलने गया . अच्छा भरा पूरा परिवार है . दादा भी हैं दादी भी हैं . इस परिवार में महिलाओं की अधिकता है और उस परिवार में बड़ा सौहाद्र पूर्ण वातावरण है जब परिवार की चार महिलाए मिलकर साथ बैठती हैं तो खूब गीत लोकगीत भजन आदि गाती हैं . आज मैंने मित्र की दादी से रिक्वेस्ट की वो एक फाग गीत सुना दें . दादीजी ने मेरी रिक्वेस्ट पर त्वरित ध्यान दिया और उन्होंने आज जो फाग का गीत सुनाया उसे मै कागज में कलम से उकेर कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ . बसंत के बाद फागुन की मस्ती भी सर चढ़कर बोलती है . फागुन के महीने में फगुनिया गीत सभी के मन को बहुत भाते हैं .
फाग गीत - नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान
कै मन प्यारे ने रंग बनायो
सो के मन के सर धोली
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.
नौ रंग प्यारे ने रंग बनायो
सो दस मन के सर धोली
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.
भर पिचकारी चंदा सूरज पे डारी
सो रंग गए नौ लख तारे
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.
भर पिचकारी महल पे डारी
सो रंग गए महल अटारी
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.
उड़त गुलाल लाल भये बादल
भर पिचकारी मेरो सन्मुख डारी
सो रंग गई रेशम साड़ी
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.
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8 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया लगा फागुन गीत..वाह!!
मन भावन लगा यह फ़ाग का गीत. धन्यवाद आप का ओर दादी जी का
@ भर पिचकारी चंदा सूरज पे डारी
सो रंग गए नौ लख तारे
लोकगीतों में ऐसी विराट कल्पना पहली बार पढ़ी । आभार।
वाह बहुत बढिया.
रामराम
बहुत ही अच्छा लगा, फगुआ गीत !!
वाह वाह बहुत ही सुन्दर फागुन गीत है.
vaah sir jee.
बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाली गीत लिखा है आपने!
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