4.3.10

जवानी के दिनों की कतरने ...दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ

दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ
इस दिल में उठे तूफानों को चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ.
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शिकायत हमें आप से है की आपने हमें अब तक देखा नहीं
तेरे पैगाम के इंतज़ार में है दिल मेरा पर तूने पैगाम भेजा नहीं.
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दिल से तुम खूब मुस्कुराया करो रोज मीठे ख्वाबो में आया करो
तीरे नजर न चला जब दिल उमंगें मारे तो मेरे पास आया करो.
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8 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

लाजवाब अभिव्यक्ति के साथ.... बहुत सुंदर रचना....

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

दिल से तुम खूब मुस्कुराया करो रोज मीठे ख्वाबो में आया करो
तीरे नजर न चला जब दिल उमंगें मारे तो मेरे पास आया करो.

बढ़िया भाव...गजब की रचना...

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!

Randhir Singh Suman ने कहा…

रोज मीठे ख्वाबो में आया करो .nice

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

bahut achhee.

शरद कोकास ने कहा…

बढिया कतरने हैं ।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत लाजवाब पंडितजी.

रामराम.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मीठे ख्वाबों में वो आ जाएँ तो बात ही क्या है ... बहुत अच्छे शेर ,...