आज देश के साथ सारे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है . आज के दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक कराने और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए तरह तरह के आयोजन किये जा रहे हैं . ब्लागजगत में नर नारी अपनी अपनी अहमियत साबित करने में जोड़ तोड़ से जुटे हैं इस परिस्थिति में महिला दिवस पर ब्लॉग में लिखने की बहुत इच्छा थी पर मन में डर समाया था की कहीं कोई पंगे की बात न हो जाए इसीलिए आज सारे दिन मन मसोस कर रह गया फिर भी महिला शक्ति को नमन और प्रणाम करते हुए यह रचना " देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर " प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसकी रचनाकार माया वर्माजी हैं और यह रचना युग निर्माण योजना के सौजन्य से प्रकाशित कर रहा हूँ .
देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
युग स्वयं ही बदलता जायेगा
शक्तियां जागरण गीत गाये अगर
हर हृदय मचलता ही चला जायेगा
वीर संतान से कोख ख़ाली नहीं
गोद में कौन सी शक्ति पाली नहीं
जनानियाँ शक्ति को साध पाए अगर
शौर्य शिशुओ में बढ़ता चला जायेगा
मूर्ती पुरुषार्थ में है सदाचार की
पूर्ती श्रम से सहज साध्य अधिकार की
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर
पति स्वयं ही बदलता जायेगा
छोड़ दें नारियां यह गलत रूढ़ियाँ
तोड़ दें अंध विश्वास की बेड़ियाँ
नारियां दुष्प्रथाये मिटाए अगर
दंभ का दम निकालता चला जायेगा
धर्म का वास्तविक रूप हो सामने
धर्म गिरते हुओं को लगे थामने
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर
ज्ञान का दीप जलाता चला जायेगा
यह धरा स्वर्ग सी फिर संवरने लगे
स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे
देवियाँ दिव्य चिंतन जगाएं अगर
हर मनुज देव बनता चला जायेगा.
लेखिका - माया वर्मा
साभार - युग निर्माण योजना के सौजन्य से
4 टिप्पणियां:
माया वर्मा जी की रचना अच्छी लगी.
विश्व की सभी महिलायों को अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर जि
देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
युग स्वयं ही बदलता जायेगा
शक्तियां जागरण गीत गाये अगर
हर हृदय मचलता ही चला जायेगा.....
sundr laine.
bahut hi sundar sandesh deti rachna.........maya ji ko badhayi.
एक टिप्पणी भेजें