29.3.10

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

आज सुबह से फुरसत नहीं मिली दिनभर यहाँ वहां बेमतलब घूमता रहा अचानक उड़नखटोला फिल्म का ये गीत जिसे रफ़ी साहब ने गया है को सुनकर तत्काल दिमाग में आया की क्यों न इसे लेकर ब्लागिंग के ऊपर एक परोडी लिख दी जाए तो वह जम भी गई और लिख भी गई प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद ही आपको पसंद आये .

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के
यहाँ जो भी आया वह रह गया कलम घिसके

न किसी ने पाई यहाँ मोहब्बत की मंजिल
कुछ दिन लिख्खा कदम डगमगाए आगे बढ़के
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

हम ढूँढते है यहाँ ब्लागिंग में बहारो की दुनिया
अरे कहाँ आ गए हम रह गए दलदल में फंसके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

कहीं टूट न जाए आगे जाकर ब्लागिंग का सपना
ब्लागिंग में पोस्टो न फेंकों किसी को निशाना बनाके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

28 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

अहिन्‍दी ब्‍लॉगिंग का नीति वाक्‍य :-
कदम कदम पर टिप्‍पणी छोड़ते जाओगे तो कभी न गिरोगे।

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

Big borther
kis kisko tippani dena hai ?

P.N. Subramanian ने कहा…

सुन्दर. हमें नहीं लगता की हम लोग टिप्पणियों के लिए ही लिखते है. हाँ टिप्पणियां नहीं आने पर कोफ़्त तो होती है. आभार.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अनुभव परिलक्षित है ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

कदम कदम पर टिप्‍पणी छोड़ते जाओगे तो कभी न गिरोगे
ब्रह्म वाक्य

राज भाटिय़ा ने कहा…

ब्लागिंग में पोस्टो न फेंकों किसी को निशाना बनाके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के
बहुत सुंदर जी धन्यवाद

sonal ने कहा…

क्या कहें एक एक लफ्ज़ मन में उतर गया

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया अनुभव है .. अच्‍छी पैरोडी !!

Khushdeep Sehgal ने कहा…

रुक न जाना कहीं तू हार के,
कांटों पे चलने से मिलेंगे साये बहार के
ओ ब्लॉगर भाई, ओ ब्लॉगर भाई...

जय हिंद...

बेनामी ने कहा…

कविता का स्वभाव गज़ब है!

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अभिनन्दन:
आर्यभटीय और गणित (भाग-2)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

जय हो मिसिर जी,
आपने भी फ़ेंका है जबलपुरिया बम।
बस एक धमाके में निकला है दम॥

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

बिग तो आप हैं
मैं तो भाई हूं
वो भी स्‍माल।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के
यहाँ जो भी आया वह रह गया कलम घिसके
न किसी ने पाई यहाँ मोहब्बत की मंजिल ...
VAAH ,GURU JEE.

Udan Tashtari ने कहा…

जय हो, महाराज!

सही ले जा रहे हैं.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

मिश्र जी, हमारी ओर से आपकी ये पैरोडी वार्षिक हिन्दी ब्लागर पुरूस्कार के लिए नामांकित की जाती है :-)

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वाह वाह. बिल्कुल सटीक.

रामराम.

-ताऊ मदारी एंड कंपनी

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

मज़ा आ गया गुरु जी

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

बहुत आनंद दायी पोस्ट

Unknown ने कहा…

सुपर-डुपर पैरोडी… इसे गाकर भी सुनाईये बिल्लौरे जी की मदद से… :)

vandana gupta ने कहा…

bahut hi badhiya likha hai.

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

कलम घिसकर की जगह की-बोर्ड में उलझकर कैसा रहेगा।

Arvind Mishra ने कहा…

जोरदार पैरोडी -सचमुच यहाँ कुछ नहीं रखा आपसी वैमनस्य और असहिष्णुता के सिवा !

drdhabhai ने कहा…

पोस्ट पे पोस्ट पढाते चलो
ब्लोगिंग की गंगा बहाते चलो....

Unknown ने कहा…

मिश्र जी, हम तो अब तक लड़खड़ाते कदमों से ही चलते आये हैं; नशे में संभलना कहाँ हो पाता है?

Unknown ने कहा…

मिश्र जी, हम तो अब तक लड़खड़ाते कदमों से ही चलते आये हैं; नशे में संभलना कहाँ होता है?

Birendra ने कहा…

सुन्दर गीत. स्वच्छ भाव लिए हुए. ऐसा सिर्फ आप ही लिख सकते हैं. आपको बधाई और साधुवाद.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

he-i-hi-hi-hi-ha-ha-ha-ha-ho-ho-ho-

संजय भास्‍कर ने कहा…

क्या कहें एक एक लफ्ज़ मन में उतर गया