9.4.10

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा

तेरे दिल में जब वफ़ा का नाम नहीं है
फिर तुझे गैरो से वफ़ा क्यों मिलेगी.

मित्र की नादान दोस्ती को ठुकरा कर
तुझे फिर दिलों से भी दुआ न मिलेगी.

क्या खता हुई मुझसे मुंह मोड़ लेते हो
खुशियाँ देने आये बदले में गम मिले.

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.

15 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

मित्र की नादान दोस्ती को ठुकरा कर
तुझे फिर दिलों से भी दुआ न मिलेगी.
behataREEN

संजय भास्‍कर ने कहा…

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।
mishra ji

Udan Tashtari ने कहा…

दिलकश भाव हैं.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.

काश वो समझ ले ।

बढ़िया प्रस्तुति।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा...
वाह ,क्या कहनें हैं.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत लाजवाब रचना.

रामराम.

vandana gupta ने कहा…

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.
waah..........bahut sundar bhav.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.

अच्छा शेर .... ग़ज़ब की बात कह दी ...

दीपक 'मशाल' ने कहा…

agar main ishara samajh raha hoon to is tarah ki baton se vaimnasyata badhne ke alawa kuchh nahin hoga.. aapas me mil baith kar samasya suljhaayen.. dunia ka yahi usool hai ki sirf hum sahi aur sab galat.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

दीपक मशाल जी, बड़े भैया की रचना को शायद उनके स्वयं की अभिव्यक्ति समझ बैठे ??
ग़ज़ल की तारीफ़ करो भाई !!!!!!!!!!!!
- विजय

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बढ़िया रचना है, इसमें विवाद की बात समझ नहीं आई।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम में आक्रोश का प्रस्तुतीकरण निराला है ।

विजय प्रकाश सिंह ने कहा…

बहुत सुन्‍दर प्रस्‍तुति |

गनेश जी बागी ने कहा…

आदरणीय महेंद्र मिश्र जी ,
प्रणाम,
मैने पहली बार आपकी यहाँ पोस्ट की हुई सारी कविताओ को पढ़ा , वाकई बेहतरीन है, बातो बातो मे आपकी कविताये बहुत कुछ कह देती है और पढ़ने वाले को सोचने पर मजबूर कर देती है, सरल भाषा मे आपकी लिपि कविता को जन मानस तक ले जाते है,बहुत ही सुंदर और ससक्त अभिव्यक्ति है आपकी,एक निवेदन है, यदि आप चाहे तो अपनी कविताओ को मेरे द्वारा संचालित किये जा रहे वेबसाइट www.openbooksonline.com पर भी पोस्ट कर दे ताकि आप की इस बेसकिमती कविताओ और रचनाओ को ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य भी पढ़ सके और लाभ उठा सके,
आपका अपना ही
गनेश जी "बागी"
सदस्य प्रबंधन
ओपन बुक्स ऑनलाइन