14.4.10

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है . वह बड़े से बड़े संकटों से लड़ सकता है और असंभव के बीच संभव की अभिनव किरणें उत्पन्न कर सकता है . शर्त यहीं है की वह अपने को समझे और अपनी सामर्थ्य को मूर्त रूप देने के लिए साहस को कार्यान्वित करें .

10 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

सारयुक्त बातें ,, बहुत अच्छी

P.N. Subramanian ने कहा…

वाह क्या बात कही है. यही बात कुछ दुसरे अंदाज में सम्राट अशोक ने रूपनाथ (आप के पास ही) में लिख छोड़ा है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है ।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

सही कह रहे हैं.

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' ने कहा…

महेन्द्र भाई जान बहुत बाद राम-राम ................उम्दा ,सारगर्भित पोस्ट .............शुक्रिया . मैं ब्लॉग पर दुबारा जिंदा हो रहा हु .............

संगीता पुरी ने कहा…

क्‍या बात है !!

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" जी,
भाईजान ब्लागजगत में आपकी वापिसी का तहेदिल से स्वागत है ...जानकर बहुत अच्छा लगा मित्र.

बवाल ने कहा…

एकदम वाजिब फ़रमाया पंडितजी आपने।

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' ने कहा…

पंडित जी कहाँ हैं इनदिनों दिखाई नहीं देते ...........और जबलपुर की गर्मी .............आपकी अकली पेशकश के इंतज़ार में

Yogesh Sharma ने कहा…

Gagar mein saagar hai, Mishr ji