बच्चों की प्रथम पाठशाला परिवार ही होता है और परिवार से बच्चों को अच्छे और बुरे संस्कार मिलते हैं । बच्चों को परिवार का वातावरण उन्हें प्रभावित करता हैं वे जिस वातावरण में रहते हैं उसी के अनुरूप ढल जाते हैं । एक बार एक माँ अपने बच्चे को बुरी तरह से पीट रही थी । पड़ोस की एक महिला ने देखा कि वह महिला अपने छोटे से बच्चों को पीट रही है यह देख कर उससे रहा न गया और उसने दौड़कर बच्चे को बचा लिया फिर उसने बच्चे की माँ से पूछा कि इस बच्चे को तुम बुरी तरह से क्यों पीट रही हो । बच्चे की मां ने पड़ोस की महिला को बताया की आज इसने चोरी की है और मंदिर की दानपेटी से इसने रुपये पैसे चुराए है और बच्चे की इस हरकत से उसे गुस्सा आ गया है इसीलिए वह अपने बच्चे को पीट रही है । बच्चे से पड़ोस की महिला ने बड़े प्यार से पूछा और कहा अरे तुम तो बहुत अच्छे बच्चे हो गंदे बच्चे चोरी करते हैं ।
बच्चे ने पडोसी महिला को बताया कि मेरी मां भी चोरी करती है और मेरी माँ प्रतिदिन मामा के यहाँ जो दूध आता है उसमें से आधा दूध निकाल लेती हैं और दूध में आधा पानी मिला देती है यह चोरी नहीं है तो क्या है और मुझ से कहती है कि ये सब मामा को नहीं बताना । बच्चे ने पड़ोसी महिला को बताया कि उसने पहली बार मंदिर की दानपेटी से रुपये पैसों की चोरी की है । यह सब सुनकर बच्चे की मां हतप्रद हो गई और उससे फिर कुछ कहते नहीं बन पड़ा ।
यदि हम अच्छे संस्कार और अच्छे गुण अपने बच्चों को देना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें और परिवार जनों को अच्छे गुण और संस्कार खुद धारण करना चाहिए । आपके अच्छे गुण और अच्छे संस्कार को देख कर बच्चे अच्छे संस्कार और अच्छे गुण ग्रहण करते हैं । परिवार ही बच्चों की प्राथमिक पाठशाला है जहाँ से बच्चे अच्छे और बुरे संस्कार ग्रहण करते हैं । आप संस्कारवान बनें और अपने बच्चों को भी संस्कारवान बनाएं जिससे और समाज भी संस्कारवान बन सकें ।
बच्चे ने पडोसी महिला को बताया कि मेरी मां भी चोरी करती है और मेरी माँ प्रतिदिन मामा के यहाँ जो दूध आता है उसमें से आधा दूध निकाल लेती हैं और दूध में आधा पानी मिला देती है यह चोरी नहीं है तो क्या है और मुझ से कहती है कि ये सब मामा को नहीं बताना । बच्चे ने पड़ोसी महिला को बताया कि उसने पहली बार मंदिर की दानपेटी से रुपये पैसों की चोरी की है । यह सब सुनकर बच्चे की मां हतप्रद हो गई और उससे फिर कुछ कहते नहीं बन पड़ा ।
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