5.5.20

मजेदार प्रसंग - मजेदार प्रसंग - वृंदावन के बंदर

मजेदार प्रसंग -  मैं वृंदावन हमेशा जाता रहता हूँ । एक बार यमुना तट गया था जहां पर श्री कृष्ण जी ने शेषनाग का मर्दन किया था और पास में कदंब का पेड़ लगा है । पेड़ की छाया में एक मंदिर है जहां श्री कृष्ण जी शेषनाग का मर्दन करते हुए एक प्रतिमा स्थापित है । मंदिर के दरवाजे में पंडित जी बैठे थे ।

मंदिर के बाहर हमेशा की तरह मैंने अपनी चप्पल उतारी और मंदिर के अंदर दर्शन करने प्रवेश किया था कि इतने में कदंब पेड़ के ऊपर से दो बंदर आये और मेरी चप्पल उठा कर पेड़ में चढ़ गये । इधर उधर वे बंदर उछल कूंद करते रहें ।


काफी देर मैँ खड़ा रहा फिर मैंने पंडित जी से कहा यदि मैं मंदिर न आता तो मेरी चप्पल न जाती । पंडित जी ने कहा मैं आपकी चप्पल आपको वापिस दिला दूंगा सामने एक व्यक्ति खड़ा है उसको बीस रुपये दे देना ।

मैनें कहा ठीक है बीस रुपये दे दूंगा । पंडित जी ने उस व्यक्ति को बुलाया और उससे कहा इनकी चप्पल लेकर आओ तुमको रुपये मिल जायेंगें ।


वे दोनों बंदर एक डाल से दूसरी डाल पर उछल कूंद करते रहें कभी वे मंदिर की छत पर चढ़ जाते । मुझे आश्चर्य हो रहा था । वह आदमी बेसन के छोटे लड्डू लेकर आया और जहां बंदर बैठे थे उनकी ओर वह लड्डू उछाल कर ऊपर फेंकने लगा । काफी देर बाद एक बंदर ने लड्डू लपकने के चक्कर में एक चप्पल छोड़ दी ।

नीचे जैसे ही चप्पल नीचे गिरी उस व्यक्ति ने तुरंत मुझे चप्पल उठा कर दे दी और कहा कि आप तुरंत चप्पल पहिन लें नहीं तो बंदर फिर से उठा कर ले जाएगा । मैंने चप्पल पहिन ली । दूसरी चप्पल के लिए वह आदमी फिर से दूसरे बंदर की ओर फिर से लड्डू उछालने लगा । लड्डू लपकने के चक्कर में दूसरे बंदर से चप्पल छूट गई और मुझे उस व्यक्ति ने दूसरी चप्पल वापिस लेकर दे दी ।

करीब आधा घंटे तक यह हंगामा देखता रहा और सोच लिया कि अब यहां अकेला नहीं आऊंगा । मेरा मनोरंजन भी काफी हुआ । आप कभी वहां जाए तो संभल कर जाएं नहीं तो जूते चप्पल बंदर उठा कर लें जायेगें । यह मजेदार प्रसंग हमेशा याद रहेगा ।

जय श्री राधे कृष्णा हरि ॐ ।

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