2.9.08

माँ नर्मदा प्रसंग : श्री शूलभेद तीर्थ

एक बार काशी नरेश चित्रसेन शिकार करने जंगल की और गए . वहां उन्होंने हिरन के झुंड को देखा . कौतुकवश उस झुंड में ऋषी उग्रतपा के लडके हिरन भेष में जंगल में विचर रहे थे . राजा ने देखा कि हिरन के झुंड चौकडी मारकर भाग रहा है तो राजा ने पीछा किया और निशाना साधकर तीर छोड़ दिया और दुर्भाग्यवश तीर ऋषी पुत्र की छाती में लग गया वो वही गिर गया . अन्तिम समय में ऋषी पुत्र ने देह प्रगट कर कहा कि मै ऋषी उग्रतपा का पुत्र हूँ और मेरा आश्रम पास में ही है . आप मेरी मृत देह को मेरे पिताजी तक पहुँचा दे . ऐसा कहकर ऋषी पुत्र ने देह त्याग दी .

राजा को ब्रामण हत्या का अत्यधिक दुःख हुआ और वे ऋषी पुत्र की देह उठाकर आश्रम तक ले गए और हाथ जोड़कर ऋषी से बोले आपके पुत्र का हत्यारा मै काशी नरेश चित्रसेन हूँ आपका पुत्र धोके से मेरे हाथ से मारा गया है . बदले में जो सजा या श्राप आप देंगे मै भुगतने के लिए तैयार हूँ . अपने प्यारे पुत्र की लाश देखकर ऋषी और पुत्र की माँ भाई वगैरह सभी रोने लगे . अंत में सब बाते जानकर ऋषी ने राजा को सांत्वना देकर कहा की आपका कोई दोष नही है और अब हम सपरिवार जीना नही चाहते है . आत्मदाह द्वारा हम सभी अपने प्राणों का त्याग कर रहे है . आप हमारी अस्थियाँ समेटकर शूलभेद तीर्थ में विसर्जित कर देना ऐसा कहकर ऋषी मुनि ने मय पत्नी लडके तथा समस्त बहुंये समेत आत्मदाह कर लिया .

राजा बेबस मन से यह सब देखते रहे और उन्होंने अस्थियाँ समेटी और धोड़े पर सवार होकर शूलभेद तीर्थ की और निकल पड़े और उन्होंने अस्थियाँ शूलभेद तीर्थ में विसर्जित कर दी . देखते ही देखते ऋषी उनकी पत्नी और बच्चे एक दिव्य विमान में बैठकर आकाशमार्ग से स्वर्ग जा रहे थे . दिव्य विमान से ऋषी ने राजा को आशीर्वाद देकर बोले हम सब शूलभेद तीर्थ की कृपा से हम लोग स्वर्ग जा रहे है राजा तुम ब्रम्ह हत्या से मुक्त हो गए हो .

नमामि माँ नर्मदे ..नर्मदे हर

9 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

itani achchi kahani padhane ka dhnyawad.

डॉ .अनुराग ने कहा…

प्रेरक प्रसंग है ......

रंजू भाटिया ने कहा…

रोचक ..शुक्रिया इसको यहाँ पढ़वाने का

राज भाटिय़ा ने कहा…

धन्यवाद एक रोचक कहानी के लिये

Pawan Nishant ने कहा…

मां यमुना के पुत्र का नर्मदा सुत को प्रणाम। आपका -पवन निशान्त

PREETI BARTHWAL ने कहा…

आपके द्वारा एक अच्छी कहानी पढ़ने को मिली धन्यवाद।

Smart Indian ने कहा…

नमामि माँ नर्मदे ..नर्मदे हर
कमाल है, तीर हिरन को तो छुआ भी नहीं, एक निहत्था बालक चला गया - कुछ ऐसा ही किस्सा श्रवण कुमार का था. जब राजा इतने बड़े तीरंदाज़ हों तो आसानी से समझ आ जाता है की देश सैकडों साल तक गुलाम क्यों रहा.

रोचक कहानी के लिये धन्यवाद.

seema gupta ने कहा…

'thanks for the detaled story, day by day it is going to be intereseting to read..."

Regards

admin ने कहा…

मॉं नर्मदा की अदभुत महिमा।