व्यंग्य आओ दफ्तर दफ्तर खेले ....
नया वेतनमान तन्ख्याय में लग गया है और लोगो की बल्ले बल्ले हो गई . सभी केन्द्र के कर्मचारी आगामी वेतन को लेकर गुणा भाग में व्यस्त हो गए . एरिअर्स को लेकर कई घरवाली से लेकर सभी अपने अपने खर्चे के बजट बनाने में तन मन से जुट गए है . कोई घरवाली के लिए जेवर तो कई नैनो कार की फिराक में है . बाकि तो बल्ले बल्ले है पर काम करने के दो घंटे और बढ़ा दिए गए है उसी को लेकर कईओ के माथे पर पसीने की बूंदे छलकने लगी है .
जब अपने कार्यालयीन सहकर्मियो से कार्य की समयावधि बढाये जाने की चर्चा करते है तो बड़े बाबू पान की पीक थूकते हुए बोलते है कि बड्डा चिंता करने की कोई बात नही है .इससे फर्क नही पड़ता है . बस समय पर खेलते कूदते हुए कार्यालय में आओ साहब को अपना धूधना के दर्शन कराओ और नमस्ते इस तरह से करो कि साहब को तुम्हारे कार्य पर उपस्थित हो जाने का एहसास हो कि हम आ गए है .
फ़िर उसके बाद फ़िर मौजा मौजा . केटीन जाओ . कलियो की नजाकत देखो जिससे आँखों को शान्ति का शीतल एहसास हो . पहले दो धंटे केन्टीन में बैठते थे तो अब तीन घंटे बैठो . अब तुम लोग समझ गए होगे . बस अपने समय पर आ जाओ . इसी समय बड़े बाबू को साहब का बुलावा आ गया . बड़े बाबू जाते जाते बोले हाँ "जितनी देर बैठोगे उतनी जेबे भी तो गरम होगी ". कार्यालय के फर्श पर फ़िर पान की पिचकारी छोडी और हंसते हुए साहब के पास चले गए .
रिमार्क- बड़े बाबू बुरा न मानना ये तो कलम की भावना है .
महेंद्र मिश्रा जबलपुर.
9 टिप्पणियां:
क्या बात ! मजा आ गया। आपका व्यंग्य अच्छा लगा। बधाई
दीपक भारतदीप
गणपति बब्बा...." मोरिया
महेन्दर जी मजा आ गया पढ कर, अजी पहले भी कोन सा काम करते थे, दो छोडो चार घण्टे ओर बिठालो, लेकिन .....
धन्यवाद सुन्दर पोस्ट के लिये
अच्छा लगा मुझे जब मैँने पढी आपकी पोस्ट
बढी हुई तनख्वाह चाटेगा मँहगाई का घोस्ट .
गजब!! बेहतरीन एवं सटीक दिया..बहुत खूब!!
बहुत खूब, मिश्र जी!
"ha ha very interesting to read"
Regards
01.बड़े बाबू बुरा न मानना ये तो कलम की भावना है
02.बड्डा चिंता करने की कोई बात नही है .इससे फर्क नही पड़ता है . बस समय पर खेलते कूदते हुए कार्यालय में आओ साहब को अपना धूधना के दर्शन कराओ और नमस्ते इस तरह से करो कि साहब को तुम्हारे कार्य पर उपस्थित हो जाने का एहसास हो कि हम आ गए है
nice superb
हाँ यह समस्या तो है !पर समाधान क्या है!
मिश्रा जी नमस्कार, आज ही मुझे आपका ब्लॉग देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ. बधाई स्वीकारें. मैं भी संस्कारधानी से हूँ. कभी समय निकालकर मेरे ब्लॉग इंडी-लाइव पर पधारें. आप चाहें तो मेरे ब्लॉग में अपनी रचनाओं को प्रेषित कर सकते हैं.
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