25.12.08

आँगन में आज फ़िर से गुलाब खिला है



आँगन में आज फ़िर से गुलाब खिला है
शायद वो इस तरफ़ दो कदम चला है
आँखों में मस्ती है चेहरा गुलाबी सा है
मुझे यार का ख़त मुद्दतो बाद मिला है.

किस आफत में मेरी जान फंस गई है
चाहत में मेरा हर एक लम्हा गुजरता है
ओ मेरे महबूब निगाहें न फेरना मुझ से
हर खुशी है इस सूने हयात में गर तू है.

9 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

आख़िरी शे'र, बहुत उम्दा

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http://prajapativinay.blogspot.com/

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

सुंदर और प्यारी रचना के लिए बधाई
- किसलय

अजय कुमार झा ने कहा…

mahendra bhai,
ye sher bhee aapke andaaj mein alag se lage, bilkul khaas, maja aa gaya, aur haan khat to dekhe ab hamein bhee jamaanee beet gaya hai.

P.N. Subramanian ने कहा…

आ रिया है, आ रिया है खुशी लेके. बढ़िया. आभार.

"अर्श" ने कहा…

mishra ji bahot khub likha hai aapne bahot sundar..

sarita argarey ने कहा…

बढिया रचना । बधाई

राज भाटिय़ा ने कहा…

क्या बात है, मजा आ गया सुंदर कविता पढ कर.
राम राम जी की

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत उम्दा

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुंदर - पहला पद बहुत अच्छा लगा.