तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है
तेरी सूरत अक्सर अपनी बंद आँखों से देख लेता हूँ.
जिसे तेरा चेहरा समझ कर मै रात भर चूमता रहा
नींद से जागा जब मै सिरहाना अपनी बाहों में पाया.
तेरी सूरत देखकर रुकते नही मेरे ये बेहिसाब आंसू
तेरे ख्याल देते थे खुशी दर खुशी वो समय और था.
मेरी आँखों के सामने से अब तुम दूर नही होना जी
मेरी दिल ऐ दिलरुबा का श्रृंगार होना अभी बाकी है.
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तेरी सूरत अक्सर अपनी बंद आँखों से देख लेता हूँ.
जिसे तेरा चेहरा समझ कर मै रात भर चूमता रहा
नींद से जागा जब मै सिरहाना अपनी बाहों में पाया.
तेरी सूरत देखकर रुकते नही मेरे ये बेहिसाब आंसू
तेरे ख्याल देते थे खुशी दर खुशी वो समय और था.
मेरी आँखों के सामने से अब तुम दूर नही होना जी
मेरी दिल ऐ दिलरुबा का श्रृंगार होना अभी बाकी है.
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9 टिप्पणियां:
क्या बात है, मिश्रा जी. बहुत सही.
वाह वाह मिश्रा जी बहुत खुब .
धन्यवाद
mahendra bhai, andejaa bayan aur shailee pasand aayee, hamesha kee tarah.
मिश्रा जी एक बात तो माननी पड़ेगी के आपके लेखनी में एक अजीब सी मासूमियत होती है .. बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई आपको...
अर्श
badiya likha hai mishra ji.....
badhai ho
ise bhi dekhen
http://www.aajkapahad.blogspot.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, अरे साहब अपने जिस ताज़ पोस्ट पर टिप्पणी दी थी वह ग़लती से साफ़ हो गयी, फिर से पोस्ट की है! यूँ न समझियेगा कि आपकी टिप्पणी हटा दी, दिल करे तो फिर टिपिया लीजिए!
रूमानी एहसासों को जगाने में सक्षम है आपकी गजल। बधाई।
bahut sundar rachna..........har sher bahut badhiya
बहुत बढ़िया...आभार..
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