कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है
बनावटी चाहत सच्चा प्यार दे नहीं सकती है.
उनको कोशिशे कर हम.... भुलाए जा रहे है
भुलाने की चाह में वे अब और याद आ रहे है.
जिसको हीरा समझ.. दिल से तराशना चाहा
देखिये तकदीर उसकी वह पत्थर निकल गया.
बनावटी चाहत सच्चा प्यार दे नहीं सकती है.
उनको कोशिशे कर हम.... भुलाए जा रहे है
भुलाने की चाह में वे अब और याद आ रहे है.
जिसको हीरा समझ.. दिल से तराशना चाहा
देखिये तकदीर उसकी वह पत्थर निकल गया.
6 टिप्पणियां:
achhi rachna.....
ye bhi khoob rahi ...dil ka khayal
सुंदर रचना ... बहुत अच्छी लगी।
बहुत ही सुंदर
धन्यवाद
" sundr bhav or shabd"
Regards
जिंदगी के करीब ले जाती रचना।
एक टिप्पणी भेजें