स्वर्ग लोक इस धरती पर है ऊपर या और अन्यत्र नहीं
उसको तुम यही तलाश करो.. जाओ न ढूँढने और कहीं.
तुम अपने पुरुषार्थ प्रयत्नों से कर दो उसका निर्माण यहाँ
यह आशा का सन्देश तुम्हे इस भू मंडल पर फैलाना है.
चिंताएँ तजकर लाभ- हानि सब में प्रसन्न रहना सीखो
दुःख व्यथा विघ्न बाधा संकट सबको हँसकर सहना सीखो.
ईर्षा ,द्वेष को छोड़ कर प्रेम की धारा में तुम बहना सीखो
रोने - धोने को छोड़ सदा तुम मधुर संगीत गाना सीखो।
उसको तुम यही तलाश करो.. जाओ न ढूँढने और कहीं.
तुम अपने पुरुषार्थ प्रयत्नों से कर दो उसका निर्माण यहाँ
यह आशा का सन्देश तुम्हे इस भू मंडल पर फैलाना है.
चिंताएँ तजकर लाभ- हानि सब में प्रसन्न रहना सीखो
दुःख व्यथा विघ्न बाधा संकट सबको हँसकर सहना सीखो.
ईर्षा ,द्वेष को छोड़ कर प्रेम की धारा में तुम बहना सीखो
रोने - धोने को छोड़ सदा तुम मधुर संगीत गाना सीखो।
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9 टिप्पणियां:
ईर्षा ,द्वेष को छोड़ कर प्रेम की धारा में तुम बहना सीखो
रोने - धोने को छोड़ सदा तुम मधुर संगीत गाना सीखो.
......... बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति,मन का सुकून...
सचमुच स्वर्ग लोक यहीं है ... इधर उधर नहीं ... प्रेम की धारा में हम बहना तो सीखें।
sundar rachna ki prastuti ke liye aabhaar.
- vijay
बहुत बढि़या बात कही, मिश्रा जी.
यूटोपिया !
वाह! सुंदर भाव
मान गऐ मिस्राजी आपको और आपकी सुन्दर सरचना को
सुन्दर विचारों को व्यक्त करती आपकी अभिव्यक्ति भी सुन्दर है ......
शुभकामनाएं ............
बहुत बढि़या भाव,सुन्दर अभिव्यक्ति...शुभकामनाएं!
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