22.5.09

याद कर गुजरे हुए पल चैन न मुझे तुझे न था


तेरे बिन ये जिंदगी गुजरती नहीं अब तेरे वगैर
जालिम जुल्मी रात भी कटती नहीं है तेरे वगैर.

अधूरे है तेरे बिन हम मत पूछ तू दिल का गम
पूर्णमासी की चांदनी देखने को नहीं करता मन .

याद कर गुजरे हुए पल चैन न मुझे तुझे न था
कोई शाम सजनी नहीं दिल में तेरे बिन तेरे वगैर.

खो गया है वो मौसम सुहाना गुजरा वो जमाना
उस पल की ख़ुशी ठहरती नहीं तेरे बिन तेरे वगैर।
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6 टिप्‍पणियां:

Anil Kant ने कहा…

kya baat hai
tere bin kuchh bhi nahi ...kuchh bhi nahi

श्यामल सुमन ने कहा…

तन्हाई की आदत होगी जुल्मी रात कटेगी।
तब कहने की यही जरूरत जिऊँ तेरे वगैर।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

विरह का सुंदर वर्णन है।

P.N. Subramanian ने कहा…

एक AB जॉन, पाकिस्तानी गायक हुआ करते थे. उनकी गई एक ग़ज़ल थी "जो तू नहीं है तो कुछ भी नहीं है, ये माना की महफ़िल जवान है हसीं है" . अप्प की रचना को पढ़ कर हमें वो पुराना गीत बरबस ही याद आ गया. आभार.

Udan Tashtari ने कहा…

रचना के साथ चित्र संयोजन बहुत अच्छा लग. बधाई!!

vandana gupta ने कहा…

gujre huye pal aise hi hote hain........bechain karne wale